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ध्यानकल्पतरू.
नंद माने, की बहुत अच्छा हुवा, यह ऐसाहीथा. इसे मारनाही चाहिये; बंधनमें डालनाही चाहिये; फांसी, सूली, देनाही चाहिये; बडा जुलमी था. बचता तो गजब कर डालता, पाप कटा, मरगया, पृथ्वीका भार हलका हुवा ! वगैरे २ शब्दोचार करे, आनंद माने, सो हिशानुबन्ध आर्त ध्यान.
(२) औरभी हाहा ! यह महल, मंदिर, बंगला, हाट - दुकान, हवेली, कोट, किल्ला, खाइ, बुरजों, तीरस्थंभ, या मृतिका पाषाणादिकके खिलोणे, मूरती, भंडोपकरण (वरतन ) वगैरे, बहुत अच्छे बने, अच्छा रंग, कोरणीयादि कर, सुशोभित किया; शाबास कारीगरकों पूरा शिल्पबेताथा, की जिसने ऐसी मनहर वस्तु बणाइ. ऐसेही कूप बावडी, नल, तलाव, होद, कुंड, झरणा, झारी, लोटा, गिलाश, कळशा, वगैरे बहुतही अच्छे मनहर बने हैं. क्या स्वादिष्ट शीतल सुगंधी पाणी हैं. कैसा उमदा फुवारा छूटता है. कैसा उमंदा छिडकाव हुवा हैं. चूला, भट्टी, अंजन, मील, दीवा, पिलशोद. हंडी गिलास. झुमर. चीमनी वगैरे