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तृतीयशाखा-धर्मध्यान.
चार करते हो; आरके क्या टोटा हैं! आपकी ऋद्धि तो इस मोहकी ऋद्धिले सर्व तरह अधिक है. परिवार शैन्य पिर और अप्रबल है. परन्तु आप शके ताजे में हो, इस्ले दिनमें कनी हमारे तर्क द्रष्टीही नहीं करी तब हम बेचारे, श्वामीके आदर दिन चुपचाप बैठे. आज आपने जरा सुदृष्टी कर, हमारी तर्फ अवलोकन किया तो सेवक सेवामें उपस्थित हुबा; और अर्ज कर ता हूं की, आपके परिवारकी खबर लीजीये, सब को संभालके हुशार कीजीये, और फिर आप हकम दी जीये. की फिर मोह जैले केइ शत्रुओंको क्षिणमें नष्ट कर आपका इच्छित करें!
इना सुणते ही चैतन्य को धैर्य आइ, और के हने लगा, प्यारे मित्र! मेरा परिवार मुजे बता...
विवेक-यह देखीये आपका तीन गुप्ती त्रिकोटे से घेरा हुवा दान, सील, तप भाव दरवज्जे युक्तं यह 'अमा' जार के अध्यने संयम मेहलकी धर्मशभामें 'सुतति' सिंडालग, मिनाज्ञा छत्र, और सा लल्वेग चमर कर शोभता हैं. शुभ भाव सेठीये पुण्य दुकानो में ऋधी सिद्धी युक्त बैठे. सुक्रिया वैयार कर रहे हैं. और भी वहूत परिवार आपका है. सो शहरमे प्रवेश किये मिलेगा: परन्त हशारीके साथ प्रवेश करिये. क्यों कि