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१४ श्री सुखा ऋषिजी बीमार पडके फाल्गुन मांसमे स्वर्ग स्थ हुवे. आगे उष्ण ऋतू और बीकट मार्गके सवबसे श्रा वको ने विहार नहीं करने दिया. दूसरे चातुर्माससे श्री केवल ऋषिजी महाराज उपरा उपरी बिमारीयों भोगवनेसे और बृध अवस्थाके कारण से विहार न होता देख,श्रावकोनस्थिर वास रहनेकी विनंती करी हमारे सुभग्योदयसे महाराजजी श्री ठाणे २ सातामें विराजमान हैं. महाराज श्रीके सरल जमाने अनुसार चारों अनुयोगरूप सहौध श्रवणसे यहां धार्मिक और व्यवहा रिकअनेक सुधारे हुवे है और हो रहे हैं.
यहां के लाला नेतरामजी रामनारायणजी ने " जैनतत्व प्रकाश” हजार पृष्टके बडे ग्रंथकी १२५० प्रत छपवाके अमुल्य भेट दी. नित्य स्मरणकी छोटी पुस्तककी ५०० प्रत अमुल्य भेट दी. तैसे पन्नालालजी जमनालालजीरामलाल कीमतीने तत्वनिर्णय'की २००० प्रत और जैन 'सुबोधहीरावली'की १००० प्रत छापवा के अमुल्य भेट दी. तैलेही हैद्राबाद ज्ञानवृद्धिक खाते की तर्फसे 'केवलानंद छन्दावली' की तीन अवृत्तीकी ३५०० प्रत अमुल्य भेट दी. तैसेही उक्त लालाजो कीमतीजी और यादगीरी (हैद्राबाद) वाले सेठ नवल मलजी सुरजमलजी तथा सोरापुर बेन्डरवाले चोथम