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(2) रक्षाबन्धन का पर्व:
दूसरा उल्लेखनीय सार्वजनिक त्यौहार, रक्षाबन्धन का है। साधारणतः इस त्यौहार के दिन लोग लोगों के हाथों में राखियां जिन्हें रक्षाबन्धन कहते हैं, बांधकर दक्षिणा लेते हैं। राखी बांधते समय वे निम्नलिखित श्लोक पढते हैं जिसका भाव यह है- 'जिस राखी से दानवों का इन्द्र महाबली बलिराज बांधा गया, उससे मैं तुम्हें भी बांधता हूं। तुम मेरी रक्षा करो और उससे डिगना नहीं'
येन बद्धो बली राजा, दानवेन्द्रो महाबली। तेन त्वामपि बध्नामि. रक्षे मा चल मा चल॥
वैदिक पुराणों में ‘वामनावतार' से सम्बद्ध कथा वर्णित है जिसके अनुसार वामनरूप धारी विष्णु द्वारा राजा बलि को वारुण पाशों में बांधा गया था और उसे राज्यच्युत कर दिया गया था (भागवत पु. 8/21/27-28)।
वामनरूपधारी विष्णु ने दैत्य राजा बलि से तीन कदम भूमि देने के लिए कहा। विष्णु ने अपने दो कदमों में ही समस्त पृथ्वी को नाप लिया था और इस प्रकार राजा बलि का स्वतः राज्यच्युत होना पड़ा था (द्रष्टव्यः भागवत पुराण-8/15-23 अध्याय)।
सम्भवतः यह घटना आसुरी भौतिक शक्ति पर दैवी बौद्धिक व आध्यात्मिक शक्ति की विजय का प्रतीक बन गई और भारतीय संस्कृति के एक विशिष्ट पर्व के रूप में प्रवर्तित हो गई। इसी दैवी शक्ति की विजय के उपलक्ष्य में, यह त्यौहार उमंग व उल्लास के साथ मनाया जाता है। ___जैन परम्परा में इस घटना की पृष्ठभूमि को मुनि विष्णुकुमार की पौराणिक कथा में निहित माना गया है। उक्त घटना प्राचीन धर्म व संस्कृति की परम्परा पर आघात करने वालों के निर्मूलन और उन पर प्राप्त हुई विजय की प्रतीक है। वैदिक वामनावतार से कुछ साम्य रखती हुई जैन पौराणिक कथा इस प्रकार है:
जेन धर्म एवं दिक धर्म की सांस्कृतिक एकता 70