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1.सुमति 2. प्रतिश्रुति 3. सीमंकर 4. सीमन्धर 5. क्षेमंकर 6. क्षेमन्धर 7. विमलवाहन 8. चक्षुष्मान् 9. यशस्वान् ।. अभिचन्द्र 11. चन्द्राभ, 12. प्रसेनजित् 1 3. मरुदेव 14 नाभि ।
वैदिक परम्परा में (प्रतिकल्प) 14 मनुओं की संख्या मानी गई है। विष्णुपुराण (3/1), मार्कण्डेयपुराण (94 व 99 अध्याय) तथा भागवत पुराण (8/13, 3/12/23) में 14 मनुओं की नामावलि इस प्रकार हैं
1.स्वायम्भुव मनु 2. स्वारोचिष मनु 3. उत्तम मनु 4. तामस मनु 5. रैवत मनु 6. चाक्षुष मनु 7. वैवस्वत मनु (= श्राद्धदेव) 8. सावर्णि मनु 9. दक्षसावर्णि मनु .. ब्रह्मसावर्णि 11. धर्मसावर्णि 12.रुद्रसावर्णि 13. देवसावर्णि (रुचि, रौच्य) 14. इन्द्रसावर्णि (भौम, भौत्य)
वैदिक परम्परा के मनुओं का कार्य भी जैन परम्परा के 'कुलकरों' के जैसा ही है। (भागवत पुराण 8/14/1-9) के अनुसार समय-समय पर विश्व-व्यवस्था को सुचारु रुप से संचालित करना, धर्म- अनुष्ठान को प्रवर्तित करना, शासन-व्यवस्था की प्रवर्तना आदि कार्य मनुओं के होते हैं। मनुओं की संख्या चौदह मानी गई है