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- जंगल में निवास करने से अथवा मौन धारण करने से कोई मुनि नहीं हो जाता, जो मुनि के नियमों को जानकर उनका आचरण करता है, वही श्रेष्ठ मुनि है।
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साधुत्व आत्मीय गुण है न कि देह का । भौतिक चिन्हों में भी साधुत्व निहित नहीं होता। वह तो आत्मीय उचलता से जुड़ी एक अवस्था है। उपर्युक्त उद्धरणों के माध्यम से वैदिक व जैन - इन दोनों धर्मों में मान्य साधुत्व-सम्बन्धी . प्ररूपणा को समझा जा सकता है।
जैन धर्म एन दिता धर्म की सातिक एन11/428