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(13) भासियव्वं हियं सच्चं।
(उत्तराध्ययन सूत्र-19/27)
-- हितकारी सत्य बोलना चाहिए।
(14) यद्भूतहितमत्यन्तमेतत्सत्यं मतं मम।
(महाभारत- 12/329/73) - जो सब प्राणियों के लिए अत्यन्त हितकारी है, वही सत्य है।
(15)
सत्यं ब्रूयात् प्रियं ब्रूयात्न ब्रूयात्सत्यमप्रियम्।
(मनुस्मृति-4/138) - सत्य बोलना चाहिए, प्रिय बोलना चाहिए, जो अप्रिय हो वैसा सत्य नहीं बोलना चाहिए।
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सत्य की महत्ता एवं सत्य के स्वरूप आदि के विषय में जैन व वैदिक- इन दोनों धर्मों में जो निरूपणा हुई है, वह उनकी समान विचारधारा को स्पष्ट प्रकट करती है।
जैन धर्म उदिता धर्म की सारकृतिक वाता/386
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