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________________ - सभी प्राणियों की अहिंसा के लिए (अर्थात् किसी प्राणी का हिंसा न हो- इस दृष्टि से) धर्म का प्रवचन किया गया है। अहिंसा समयंचेव, एयावन्तं वियाणिया। (सूत्रकृतांग सूत्र-1/17/10) - अहिंसा के सिद्धान्त का सम्यक्ज्ञान ही यथार्थ विज्ञान है। (4) अहिंसा परमो धर्मः। (महाभारत- 13/115/25) - अहिंसा परम धर्म है। (5) तुमंसि नाम तं चेव, जंहंतव्वं त्ति मनसि। (आंचारांग सूत्र-1/5/5) - तू जिसको हन्तव्य-मारने योग्य मान रहा है, वह तू ही तो है। (6) सर्व-भूतस्थितंयो मां भजत्येकत्वमास्थितः। (गीता-6/31) - सभी जीवों में मैं (परमेश्वर) ही एकत्व रूप में स्थित हूं। (7) ण हणे पाणिणोपाणे। (उत्तराध्ययन सूत्र-6/7) - किसी प्राणी का प्राण-घात न करो। जैन धर्म व दिन धर्म की सास्कृतिक एकता 378
SR No.006297
Book TitleJain Dharm Vaidik Dharm Ki Sanskrutik Ekta Ek Sinhavlokan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSubhadramuni
PublisherUniversity Publication
Publication Year2008
Total Pages510
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size31 MB
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