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________________ (2) अहिंसा-सत्य-अस्तेय-ब्रह्मचर्य-अपरिग्रहा यमाः। एतेजातिदेशकालसमयानवच्छिन्नाः सार्वभौमा महाव्रतम्॥ (योगदर्शन सूत्र-2/30-31) - अहिंसा, सत्य, अस्तेय, ब्रह्मचर्य और अपरिग्रह- ये पांच 'यम' हैं। जाति, देश, समय के प्रतिबन्ध से रहित, एवं सर्वदा-सर्वत्र इनका पालन करने पर, ये 'यम' ही 'महाव्रत' के रूप में प्रसिद्ध होते हैं। (3) अहिंसा सत्यमस्तेयं, शौचमिन्द्रियनिग्रहः । एतं सामासिकंधर्म, चातुर्वर्येऽब्रवीन्मनुः॥ (मनुस्मृति-10/63) - अहिंसा, सत्य, अचौर्य, शौच- पवित्रता, इन्द्रिय-निग्रहसंक्षेप में धर्म का यह स्वरूप चारों ही वर्गों के लिए मनु ने कहा है। 000 अहिंसा आदि पांच धर्म सार्वभौमिक व सार्वजनिक हैं, क्योंकि इनका पालन सभी के लिए, प्रत्येक साधक के लिए सर्वदा करणीय है। जैन व वैदिक- इन दोनों धर्मों में भी इनके विषय में सहमति है- इसकी पुष्टि उपर्युक्त उद्धरणों में हो रही है। Dोन ufanilin if it सारा in lifI,376DH
SR No.006297
Book TitleJain Dharm Vaidik Dharm Ki Sanskrutik Ekta Ek Sinhavlokan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSubhadramuni
PublisherUniversity Publication
Publication Year2008
Total Pages510
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size31 MB
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