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________________ वैसे तो भारत त्यौहारों और पर्वो के देश के नाम से विख्यात है। यहां अनेकानेक पर्व-त्यौहार और उत्सव मनाए जाते हैं। परन्तु कार्तिक अमावस के दिन मनाया जाने वाला दीपावली का त्यौहार समस्त त्यौहारों से बड़ा त्यौहार और महापर्व माना गया है। भारत की लगभग सभी धार्मिक परम्पराओं से दीपावली का सम्बन्ध जुड़ा हुआ है। इस मधुर महापर्व के साथ अनेक धार्मिक कथाएं जड़ी हैं। वैदिक परम्परा के राम तथा जैन परम्परा के अंतिम तीर्थंकर भगवान् महावीर के साथ इस पर्व का सम्बन्ध माना जाता है। इस दिन से जुड़ी अन्य कुछ घटनाएं हैं __ - श्रीकृष्ण द्वारा नरकासुर का वध तथा सोलह हजार रानियों को बन्धनमुक्त करना। - समुद्र-मन्थन इसी दिन हुआ। - नरसिंह अवतार इसी दिन हुआ। - महर्षि दयानन्द का देह त्याग। इन्हीं अनेक कारणों से यह दिन अनेकता में एकता का उद्गाता है। . आइए, भारतीय संस्कृति की दोनों धाराओं में मान्य इस महान् पर्व से सम्बद्ध दो कथानकों के माध्यम से इसकी ऐतिहासिक प्राचीनता को हृदयंगम करें। [१] वर्धमान महावीर जैन परम्परा में दीवाली को बड़ा महत्त्व प्राप्त है। दीपावली अर्थात् कार्तिक अमावस की रात्रि में अपनी अनादि जीवन-यात्रा को विराम देकर भगवान महावीर अनन्त में विलीन हो गए थे। जैन दृष्टि में साधक के लिए यह क्षण परम मूल्यवान होता है। भगवान महावीर के जीवन के उस परम मूल्यवान क्षण को जैन परम्परा में कार्तिक अमावस की रात्रि को आलोक दिवस के रूप में प्रतिवर्ष श्रद्धा और विश्वास के साथ मनाया जाता है। द्वितीय खण्ड/361
SR No.006297
Book TitleJain Dharm Vaidik Dharm Ki Sanskrutik Ekta Ek Sinhavlokan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSubhadramuni
PublisherUniversity Publication
Publication Year2008
Total Pages510
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size31 MB
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