SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 346
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ भोजराज की सम्यक् सेवा नहीं कर पाती। मीरा की हृदय-दशा से परिचित होकर भोजराज ने एक अन्य विवाह रचा लिया। अब मीरा स्वतंत्र थी। उसने अपना पूरा समय कृष्ण-भक्ति को अर्पित कर दिया। वह भूखप्यास को विस्मृत करके कई-कई दिन श्रीकृष्ण के ध्यान में खोई रहती। वह कभी रोती तो कभी हंसती। लोगों ने मीरा को पागल समझा। लेकिन उसे इसकी चिन्ता न थी। संवत् 1580 के लगभग भोजराज का देहान्त हो गया। पति की मृत्यु पर मीरा ने आंसू नहीं बहाए। क्योंकि वह जानती थी उसके वास्तविक पति श्रीकृष्ण अमर्त्य, अनश्वर और चिन्मय हैं। वे कभी नहीं मर सकते। पति की मृत्यु के पश्चात् मीरा का सारा समय साधुओं की संगति, पदरचना, ईशस्तुति में बीतने लगा। अनेक बार वह गली-गली में घूमकर श्रीकृष्ण को पुकारती। उस समय राजगद्दी पर मीरा के देवर विक्रमाजीत आसीन थे। उन्हें मीरा का व्यवहार पसन्द न आया। उन्होंने मीरा को समझाया । न मानने पर उसे विष देकर मारने का यत्न किया। राजा विक्रमाजीत ने चरणामृत के नाम पर विष का प्याला मीरा के पास भेजा। मीरा ने सहर्ष उसे पी लिया। प्रभु-भक्तों के लिए वस्तु अपने प्रभाव को बदल देती है। विष मीरा का कुछ न बिगाड़ पाया। राजा ने एक विषधर सर्प को शालिग्राम कहकर भेजा। मीरा ने पिटारा खोला तो सर्प के स्थान पर शालिग्राम थे। राजा मीरा के इस प्रभाव और चमत्कार को देखकर मन ही मन भयभीत हो उठा। राजा ने और भी अन्य अनेक कष्ट मीरा को दिए, पर वह उसका कुछ न बिगाड़ पाया। मीरा सुध-बुध खोकर श्रीकृष्ण भक्ति में तन्मय रही। उसका शरीर दुर्बल हो गया। ध्यान से उपजी एकाग्रता को मीरा की बीमारी समझा गया। अनेक वैद्य बुलाए गए। मीरा के पिता भी वैद्यों को लेकर आए। लेकिन किसी दवा का मीरा पर प्रभाव न हुआ। मीरा ने पद गया हे री मैं तो प्रेम दिवानी, मेरा दरद न जाणे कोय। सूली ऊपर सेज हमारी, किस विध सोणा होय॥ गगन मंडल पे सेज पिया की, किस विध मिलणा होय। घायल की गति घायल जाणै, की जिण लाई होय॥ दितीय वाड 321
SR No.006297
Book TitleJain Dharm Vaidik Dharm Ki Sanskrutik Ekta Ek Sinhavlokan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSubhadramuni
PublisherUniversity Publication
Publication Year2008
Total Pages510
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size31 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy