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नहीं चाहता । वह चाहता है, जिसे ऋषि-मुनि लंबी-लंबी तपस्याएं करने के बाद भी सदैव प्राप्त नहीं कर पाते! आश्चर्य है! यमराज ने बालक को संसार की सबसे स्वादिष्ट खाद्य पदार्थ देने का प्रस्ताव रखा। नचिकेता ने वह तत्काल अस्वीकार कर दिया। यमराज ने अन्य सुख-सुविधाओं व संपत्तियों को मांग लेने के लिए कहा, परंतु नचिकेता इसके लिए भी तैयार नहीं हुआ। यमराज ने समस्त वैभव देने के लिए कहा परंतु नचिकेता ने वह प्रस्ताव भी ठुकरा दिया। वह जन्म, मृत्यु एवं ब्रह्म अर्थात् आत्मा का गूढ ज्ञान ही प्राप्त करने पर अडिग रहा। अंततः यम को वह ज्ञान देना पड़ा। नचिकेता ने बचपन में ही उस परम सत्य का ज्ञान पा लिया जिसके लिए कठोर तप साधनाएं की जाती हैं।
___• यमराज, जिनसे सारा संसार थर-थर कांपता है, एक बालक की जिज्ञासा से पराजित हो गए थे।
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प्रस्तुत सभी कथानक बाल साधकों पर आधृत हैं। वैराग्य की घटना आयु की सीमाओं से निर्बन्ध होती है। यह घटना कभी-कभी बाल्यावस्था में भी घटित हो जाती हैं तो कामभोगपरायण भरी जवानी में भी व्यक्ति विरक्त होकर सर्वस्व त्याग कर देता है। संसार के स्वाद से अपरिचित जब कोई बालक परम स्वाद-वैराग्य के स्वाद को पहचान लेता है तो यह जगत् आश्चर्यचकित हो उसे देखता रह जाता है। जैन परम्परा में अतिमुक्त व थाव पुत्र
और वैदिक परम्परा में ध्रुव व नचिकेता- ये चार ऐसे चरित्र हैं जहां वैराग्य बाल्यावस्था में घटित हुआ था। चारों ही चरित्र अतिआश्चर्यकारी हैं। अष्टवर्षीय अतिमुक्त कुमार गौतम स्वामी को देखकर आनन्दविभोर हुए थे और फिर भगवान महावीर की चरणरज प्राप्त करके वे अनन्त-अनन्त के लिए उन्हीं के होकर रह गए थे। माता के प्रतिबोध दिये जाने पर ध्रुव भी बाल्यावस्था में विरक्त
द्वितीय तण्ड/271