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क्या वज्रमूर्ख हो। शिलाखण्ड पर आम रोप रहे हो। शिलाखण्ड पर आम नहीं उगा करते हैं।"
___ “यदि मृत जीवित हो सकता है तो शिलाखण्ड पर आम भी उग सकता है।" देव ने उत्तर दिया- “मुझे वज्रमूर्ख का खिताब देने वाले भद्रपुरुष! क्या तुम भी वही मूर्खता नहीं कर रहे हो जो मैं कर रहा हूं।"
कैसी मूर्खता?" बलराम बोले-“तुम किसे मृत कह रहे हो? मेरे भाई को? मैं तुम्हारा वध कर डालूंगा।" पाकर उन्हें आश्चर्य हुआ। गृहद्वार में प्रवेश करते ही उन्होंने पत्नी से पूछा- "हमारे पुत्र कहां हैं?"
"यहीं तो खेल रहे थे अभी!" पत्नी ने उत्तर दिया- "अभी आ जाएंगे!"
"लेकिन मुझे भूख लगी है।" धर्मगुरु बोले- "उनके बिना मैं भोजन कैसे करूंगा?"
"आप भोजन कर लीजिए।" पत्री ने भोजन की थाली पति को देते हुए कहा"वे तो अभी-अभी भोजन करके निकले हैं। अब वे भोजन नहीं करेंगे।"
"आश्चर्य है!" धर्मगुरु ने कहा- "आज उन्होंने मुझसे पहले ही भोजन कर लिया। कहकर वे भोजन करने लगे।" .
____ पति का भोजन लगभग परिसमाप्ति पर था। पत्नी ने एक युक्ति निकाली। बोली- "पिछले दिनों मैं पड़ोसिन से उनके आभूषण मांग कर लाई थी। कहो तो उसके आभूषण लौटा दूं।"
"यह भी कुछ पूछने जैसी बात है?" धर्मगुरु बोले- "आभूषण उसके हैं। उन्हें लौटाना ही है। अवश्य लौटा दो।"
"लेकिन वे अतिसुन्दर और बहुमूल्य हैं।" पत्नी बोली- "मेरा मन उनसे बंध गया है। जी नहीं चाहता है कि लौटा दूं। रख लूं तो भविष्य में 'काम' आएंगे।" अपनी तत्त्वज्ञा पत्नी को पराए आभूषणों में मोहासक्त देखकर धर्मगुरु को बड़ा कष्ट और आश्चर्य हुआ। बोले"जो पराए हैं, उन्हें लौटा देने में तुम्हें विलम्ब नहीं करना चाहिए। और जिन्हें लौटाना था उन पर इतनी आसक्ति अपने हृदय में उत्पन्न ही क्यों होने दी? मूर्ख मत बनो। आसक्ति छोड़ो और जिसके ये आभूषण हैं उसे लौटा दो।"
पत्नी बोली- "देव! आपके कथन में पूर्ण सत्य है। जो वस्तु जिसकी है, उसे लौटाते हुए हमें खेद नहीं करना चाहिए। मेरी आपसे भी यही प्रार्थना है कि आप भी शोक मत कीजिए। हमारे पुत्र अपने घर लौट गए हैं। ईश्वर ने उन्हें भेजा था। अब पुनः उसने अपने पास बुला लिया है।"
एक क्षण के लिए धर्मगुरु की आंखों के समक्ष धरती घूम गई। अश्रुबंध टूटा। पुत्रों के शवों से लिपट कर बिलख पड़े। लेकिन पत्नी की युक्ति ने जो भूमिका बांधी थी, उसने उन्हें पुत्रों के साथ मिट जाने से बचा लिया। यह थी एक पत्नी की युक्ति- जिसने एक पति को मोहविजयी होने में सहायता दी।
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जन {f biदिक धर्म की सांस्कृतिक एकता 2580