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________________ गई। निस्सन्देह कोई भी नारी इस अपमानित स्थिति में पत्थर जैसी मूक हो जाएगी। भगवान् राम ने इस पतिता नारी का अपने चरण-स्पर्श से उद्धार किया (द्रष्टव्यः देवी भागवत-1/5/46, वाल्मीकि रामायण, 1/49 अध्याय, ब्रह्मवैवर्त पुराण, कृष्ण-जन्म खण्ड-61/44-46 आदि)। वैदिक परम्परा के धार्मिक साहित्य में एक गणिका का उदाहरण आता है। उस गणिका का नाम पिङ्गला था। कहा जाता है कि एक दिन वह अपूर्व शृंगार करके अपने प्रेमी की प्रतीक्षा में बैठी रही। ___. किन्तु महान प्रतीक्षा के बावजूद भी कोई आधी रात तक नहीं आया तो पिङ्गला को बड़ी ग्लानि हुई। उसने सोचा- जितना समय आज मैंने इस व्यक्ति की प्रतीक्षा में बर्बाद किया, उतना अगर ईश्वर के भजन में लगाती तो मेरा अवश्य कल्याण हो जाता। यह विचार आते ही उसने उसी क्षण वेश्यावृत्ति का त्याग कर दिया और अपने मन को संपूर्णतः भगवद्भजन में लगा दिया। फलस्वरूप उसके समस्त पाप नष्ट हो गए और उसकी आत्मा का उद्धार हो गया। (द्रष्टव्यः भागवत पुराण- 11/8/22-44) कहने का अभिप्राय यही है कि असंख्य पापों का उपार्जन करने वाली वेश्या भी भोगों से विरक्त होकर संसार-मुक्त हो गई तो फिर संसार में ऐसा कौन सा व्यक्ति है जो अपनी आत्मा का उद्धार नहीं कर सकता? पर इसके लिए धर्म पर सच्ची श्रद्धा सम्यक ज्ञान की आवश्यकता है। जैन परम्परा में भी उक्त मान्यता का समर्थन हआ है। वेश्या जैसी पतिता नारी भी किसी महापुरुष या महात्मा की सत्संगति से धार्मिक जीवन स्वीकार कर परमपद की ओर अग्रसर हो सकती है- इसे जैन परम्परा निर्विवाद स्वीकार करती है। इसी वैचारिक पृष्ठभूमि में कुछ कथानक यहां प्रस्तुत किये जा रहे हैं जिनमें उक्त सत्य स्पष्टतया अनुगुंजित होता है | जैन परम्परा से राजनर्तकी रूपकोशा का कथानक चुना गया है तो दक्षिण भारत की एक गणिका की घटना वैदिक परम्परा से जुड़ी है। आम्रपाली की कथा बौद्ध परम्परा की प्रतिनिधित्व करती है। सभी कथानकों में कथ्य-तथ्य-सत्य की एकस्वरता दर्शनीय है। जन शर्मादिक धर्म की सांस्कृतिक एकता 2242
SR No.006297
Book TitleJain Dharm Vaidik Dharm Ki Sanskrutik Ekta Ek Sinhavlokan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSubhadramuni
PublisherUniversity Publication
Publication Year2008
Total Pages510
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size31 MB
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