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________________ होता भी है या नहीं? तर्कशील मस्तिष्क भले ही इन्हें न स्वीकारे, श्रद्धालु मन इन्हें स्वीकार करता है । वैदिक व जैन- इन दोनों विचारधाराओं से जुड़े तथा दैवी चमत्कारों से पूर्ण दो कथानक ऊपर प्रस्तुत किये गयें हैं। अभयकुमार का कथानक जैन परम्परा से, तथा भक्त प्रह्लाद का वैदिक परम्परा से सम्बद्ध है। अमरकुमार के समस्त आश्रय अनाश्रय हो गए। सारे सहारे निरर्थक हो गए। यहां तक कि उसके माता-पिता और राजा घोर स्वार्थी हो गए। मृत्यु के क्षण में अमरकुमार को गुरु- प्रदत्त नमस्कार महामन्त्र का सहारा सूझा। महामंत्र नवकार के श्रद्धापूर्ण स्मरण से अपूर्व चमत्कार घटित हुआ । इसी तरह, दैत्यकुल में हिरण्यकशिपु के पुत्र प्रह्लाद पुण्य-योग के कारण ईश्वर भक्ति के मार्ग पर अग्रसर हुए। उनका यह कार्य दैत्यकुल की मान-मर्यादा के प्रतिकूल था । उनकी दृढ आस्था का ही चमत्कार था कि भगवान् विष्णु ने नरसिंह रूप में प्रकट होकर पिता के कोप से तथा दैत्यों से प्रह्लाद की रक्षा की। अडोल आध्यात्मिक श्रद्धा की दृष्टि से दोनों कथानकों की समता उल्लेखनीय है। जहां तक वैदिक परम्परा का प्रश्न है, स्वयं परमात्मा अवतार रूप में अवतरित होकर लीलामय हैं। उनकी कुछ क्रियाएं 'चमत्कार' रूप होती हैं। कई अवतार तो साक्षात् 'चमत्कार' रूप में प्रकट होते हैंअर्थात् उनका अवतार ही एक चमत्कारपूर्ण घटना होती है। जैसे प्रह्लाद की रक्षा के लिए एकाएक नृसिंहावतार का प्रकट होना। इसके अतिरिक्त, ऐसी अनेक प्रसिद्ध पौराणिक घटनाएं हैं जिनमें संकटग्रस्त भक्त की पुकार पर भगवान् एकाएक प्रकट होकर तात्कालिक संकट से भक्त को उबारते हैं । जैसे भागवत पुराण (अष्टम सर्ग, 2-4 अध्याय) की 'गजेन्द्र - मोक्ष' कथा में ग्राह के शिकंजे में फंसे हुए भक्त गजेन्द्र की पुकार सुनकर प्रभु आते हैं और उसे संकट से उबारते हैं । महाभारत
SR No.006297
Book TitleJain Dharm Vaidik Dharm Ki Sanskrutik Ekta Ek Sinhavlokan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSubhadramuni
PublisherUniversity Publication
Publication Year2008
Total Pages510
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size31 MB
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