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________________ अहिंसा परमो धर्मः (सांस्कृतिक पृष्ठभूमिः) अहिंसा इस जगत् का सर्वप्रथम और सर्वोच्च धर्म है। जगत् के समस्त प्राणियों के प्राणों को अपने प्राणों के समान प्रिय मानकर उनकी रक्षा करना अहिंसा है। भगवान् महावीर ने अहिंसा का अंतर्दर्शन प्रगट करते हुए हिंसा न करने का निर्देश दिया थाएवं खु नाणिणो सारं, जं न हिंसइ किंचण। (सूत्रकृ. 1/4/10) ज्ञानी होने का सार यही है कि वह किसी भी प्राणी की हिंसा न करें। अहिंसासमयं चेव, एयावन्तं वियाणिया॥ (सूत्रकृ. 1/11/10) अहिंसा एक सिद्धान्त है, यह समता ही है- इतना भर जान लेना चाहिए। वैदिक परम्परा का ऋषि भी 'अहिंसा' की कर्तव्यता का निर्देश करते हुए कहता है- मा हिंस्यात् सर्वभूतानि (यजुर्वेद 13/47) अर्थात् सभी प्राणी अवध्य हैं। बौद्ध परम्परा ने भी उक्त भावना का समर्थन करते हुए कहा जनम मा त पिक की परpiah ThiHI 3 >.
SR No.006297
Book TitleJain Dharm Vaidik Dharm Ki Sanskrutik Ekta Ek Sinhavlokan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSubhadramuni
PublisherUniversity Publication
Publication Year2008
Total Pages510
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size31 MB
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