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________________ बनता है और इस तथ्य को हृदयंगम कराता है कि अधर्म व दुराचार का कभी सुपरिणाम नहीं होता। अतः शलाकापुरुषों में उनका परिगणन न्यायसंगत प्रतीत होता है। (महनीय राम-कृष्ण अवतार-) वैदिक अवतारों में सर्वश्रेष्ठ दो ऐसे अवतार हैं जिन्होंने भारतीय संस्कृति को अत्यधिक प्रभावित किया है। ये दो अवतार हैं- श्रीराम और श्रीकृष्ण । मर्यादापुरुषोत्तम रूप में श्रीराम जनजन की महान् आस्था व श्रद्धा के केन्द्र रहे हैं तो ईश्वर के षोडशकलापूर्ण पूर्णावतार के रूप में श्रीकृष्ण का भी अविस्मरणीय महत्त्व है। गीता के माध्यम से कर्मयोग के उपदेष्टा बनकर वे सांसारिक कर्मक्षेत्र में युगों-युगों का श्रद्धाभाजन रहेंगे। इन दोनों ने सांस्कृतिक आकाश में सूर्य व चन्द्र की तरह अपना प्रकाश फैलाया है। प्रत्येक भारतीय की इन दोनों महापुरूषों/ अवतारों पर इतनी अडिग आस्था व श्रद्धा है जो कभी-विचलित नहीं हो सकती। यही कारण है कि इन दोनों की पावन जीवनी को केन्द्रित कर प्रचुर साहित्य का निर्माण होता रहा है। इन दोनों वैदिक अवतारों की महनीयता जैन परम्परा में भी रेखांकित हुई है। इस तथ्य को पुष्ट करने हेतु जैन परम्परा में स्वीकृत मान्यताओं का उल्लेख यहां प्रासंगिक है। (जैन परम्परा में भगवान् राम) जैन परम्परा में राम एक असाधारण महापुरुष के रूप में प्रतिष्ठाप्राप्त हैं। उपर्युक्त शलाकापुरुषों में भी 54 महापुरुषों का विशिष्ट उल्लेख किया जाता है, उनमें इनकी गणना होती है। उक्त 54 महापुरुषों में 24 तीर्थंकर, 12 चक्रवर्ती, 9 बलदेव, 9 वासुदेव (नारायण)- इनका परिगणन होता है। एक मान्यतानुसार, ये सभी महापुरुष, या तो उसी जन्म में या अगले कुछ जन्मों में सिद्ध 104
SR No.006297
Book TitleJain Dharm Vaidik Dharm Ki Sanskrutik Ekta Ek Sinhavlokan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSubhadramuni
PublisherUniversity Publication
Publication Year2008
Total Pages510
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size31 MB
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