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________________ प्रणाली स्थापित करना- उनका दायित्व होता है। एक परमशक्तिशाली प्रशासनिक व्यवस्था के अभाव में अनाचार-दुराचार के पनपने की अधिक संभावना रहती है। छोटे-छोटे राज्य परस्पर युद्ध में संलिप्त रहते हैं और अपनी-पराई भावना रखकर दूसरे के राज्य में अशान्ति व लूटमार या विध्वंस फैलाने के लिए उद्यत रहते हैं। चक्रवर्ती के एक अखण्ड राज्य में ऐसी कोई अव्यवस्था नहीं पनपती। ____ इसी तरह, बलदेव व वासुदेव (नारायण) अपने समय की सामाजिक, धार्मिक व सांस्कृतिक गतिविधियों में सम्मिलित होकर सामान्य जनता की पीड़ा को समझते हैं और उसे दूर करते हैं। आसुरी शक्तियों के प्रतीक और अधर्माचरण के कर्णधार कुछ शक्तियां उनके विरोध में खड़ी होती हैं, जिन्हें बलदेव व वासुदेव निर्मूल करते हैं। ___ चक्रवर्ती असामान्य भौतिक सुख-सुविधाओं का स्वामी होता है और सामान्य जनता से उसका घनिष्ठ सम्पर्क नहीं रह पाता। इसके विपरीत, बलदेव व वासुदेव शक्तिसम्पन्न, वैभवसम्पन्न होते हुए भी सामाजिक रूप से जनता से अधिक जुड़े हुए होते हैं। उनकी धर्मनिष्ठ वैयक्तिक छवि का जन-जन पर सीधा प्रभाव पड़ता है। इनकी तत्कालीन धार्मिक-सांस्कृतिक जगत् में गहरी पैठ होती है, अतः ये धार्मिक-सांस्कृतिक उन्नयन में अधिक प्रभावक ढंग से अपना योगदान देते हैं। वे आसुरी या प्रतिरोधात्मक शक्ति के प्रतिनिधि प्रतिवासुदेव (प्रतिनारायण) को पराजित करते हैं। प्रतिवासुदेव का अस्तित्व एक प्रकार से बलदेव व वासुदेव की गरिमा को बढ़ाने में सहायक होता है। जैसे, अन्धकार न हो तो प्रकाश का महत्त्व समझ में नहीं आता, प्रकाश के 'प्रकाश' होने में अन्धकार का महत्त्वपूर्ण योगदान होता है, उसी तरह सांस्कृतिक व धार्मिक उन्नयन में प्रतिवासुदेव के भी योगदान को नकारा नहीं जा सकता। उनका जीवन सामान्य जनता के लिए एक निदर्शन # HAM H AN| FAH 108
SR No.006297
Book TitleJain Dharm Vaidik Dharm Ki Sanskrutik Ekta Ek Sinhavlokan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSubhadramuni
PublisherUniversity Publication
Publication Year2008
Total Pages510
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size31 MB
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