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________________ नाग या महोरग गन्धर्व नाग तिन्दुक (9) शलाकापुरुष और रामकृष्ण अवतार वैदिक व जैन- इन दोनों परम्पराओं में कुछ विशिष्ट महापुरुष या अवतार-पुरुष माने गए हैं जिनका भारत के सांस्कृतिक विकास में महत्त्वपूर्ण योगदान है। इन विशिष्ट व्यक्तियों को वैदिक परम्परा 'अवतार' कह कर विज्ञापित करती है। जैन परम्परा में इन्हें 'शलाकापुरुष' कहा गया है। शलाकापुरुष से तात्पर्य उन महापुरुषों से है जिनके गौरवपूर्ण कार्यों के कारण जिनकी गणना या जिनका उल्लेख इतिहास के पन्नों पर अवश्य अपेक्षित हो। _ जैन शास्त्रों में शलाकापुरुषों की संख्या 54, 63 या 123 व 169 तक मानी गई है। सामान्यतः इनकी 63 संख्या अतिप्रसिद्ध है (द्र. तिलोयपण्णत्ति-4/51-511, 4/1473)।इसका विवरण इस प्रकार है- 24 तीर्थंकर, 12 चक्रवर्ती, 9 बलदेव, 9 वासुदेव (नारायण), और 9 प्रतिवासुदेव (प्रतिनारायण)। वैदिक अवतारों का कार्य धर्म-स्थापना, अधर्म-नाश, धार्मिक-सामाजिक-सांस्कृतिक अव्यवस्था को दूर कर मर्यादा व व्यवस्था को स्थापित करना, दिग्भ्रान्त मानवता को कल्याणकारी मार्ग दिखाना आदि होता है । जैन शलाका-पुरुषों का कार्य भी वैसा ही होता है। सभी जैन तीर्थंकर धार्मिक व सात्त्विक सृष्टि का सूत्रपात करते हैं। अधर्म के मूलकारण 'अज्ञान' को दूर कर वे 'धर्म' का प्रचार-प्रसार करते हैं। सभी चक्रवर्ती एक व्यापक प्रशासनिक व्यवस्था को मूर्त रूप देते हैं। वैयक्तिक रूप से विविधता, स्वच्छन्दता व निरंकुशता वाली विभिन्न शासन-प्रणालियों को एकसूत्र में बांधकर एक स्वच्छ, धर्मनिष्ठ, संगठित, अखण्ड, एकछत्र केन्द्रीय शासन
SR No.006297
Book TitleJain Dharm Vaidik Dharm Ki Sanskrutik Ekta Ek Sinhavlokan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSubhadramuni
PublisherUniversity Publication
Publication Year2008
Total Pages510
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size31 MB
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