SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 75
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ (७३) नही, सुख दुःख तो नुक्त्याही छुटंत तो ॥ संपत सहु छ कारमी, पुन्यथी मिले पापथी वीछडंत तो॥ मूर्ख जन चिंता करे, मरनेसे कुछ दुःख न ढलंत तो॥ जो०॥ १८५॥ अब मेरे संग चाली ये, धन्न दिलावू तुजने अखुटंत तो ॥ फिर दुःख कुछ रहगा नही, इम सुण नृपती संग चलंत तो॥ तुम्बा बडा चार संग लिया, दोय तुम्बा माहे तेल नरंत तो ॥ मोठा पहाड पास श्रावीया, मशा ल कर वन्हीथी प्रजालंत तो ॥ जो०॥ १८६ ॥ गिरी किन्नरी में पेसीया, अागे चाल्या अाइ जडी जल झरंत तो ॥ दो तुम्बा तेहथी नर्या, मंत्रादिक करी साथे Jहत तो ॥ रस लेइ पाछा फीर्या, गिरी बारे सुखे २ श्रावंत तो॥ गुण तिण रस सिद्धी तणा, सिद्ध पुरुष नूपने बतावंत तो ॥जो०॥१८७॥ अग्नि. २ गुफा ३ लिया.
SR No.006294
Book TitleBhimsen Harisen Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherPannalal Jamnalal Ramlal
Publication Year1909
Total Pages126
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy