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________________ (२२) लगाय तो ॥ इम तुम राजा बजो नही, खलने कदापी गुल न केवाय तो॥राज गादी बैठे रा. जबी, थेतो बेठो प्रधानने ठाय तो॥ त्रि० ॥५१॥ जिस दिन गादीपे बैठ सो, सोही दिन मुजसफल गिणाय तो ॥ हसेिण कह दिन उगतां, मैं बैठेंगा गादीपे औछाय तो ॥ देखा अंतराय कुण देवे, दुवाई म्हारी देस्यूं फेराय तो ॥ इत्यादी बातां करे, जित्रे तिहां देखो नृप पुन्य सहाय तो ॥ त्रि० ॥ ॥ ५२ ॥ जसोदा लघुशंका नणी, आईथी नीचे उनी सुणे बात तो ॥ नारी कहे नाइ बेठा थकां, ऐसो काम कदापी न थात तो ॥ अपयश एथी होसी घणो, उमराव बदल रायस्यूं मिल जात तो इच्छा पूर्ण नही हुवे, हरीसेण सोची आगे जणात तो ॥ त्रि० ॥ ५३॥प्रनाते चारी जीवनी, पोता. ने हाथे करस्यूं जाइ घात तो॥ फिरतो इच्छा पूरी
SR No.006294
Book TitleBhimsen Harisen Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherPannalal Jamnalal Ramlal
Publication Year1909
Total Pages126
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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