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झूठ कवून भलो लग्वो सब आप समाना । साधु वचन विश्वास अजपा जप भगवाना || इतने काम करते हुए खरच श्रम कुछ ना लगे । अचल सुख मुक्ति मिले अमोल आत्मज्योति जगे ॥ श्लोक किं बहुलेखने नेह, संक्षेपादिदमुच्यते । त्यागो विषयमात्रस्य कर्तव्योऽखिलमुमुक्षुभिः ॥
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अर्थ - ज्यादा लिखके क्या करना है. संक्षेपमें इतना ही कहना है कि मोक्षके अभिलाषियोंको सर्वथा त्याग करना चाहिए ।
इस प्रकार उक्त कथन के अनुसार षड्रिपुके फंदे में नहीं फंसते हुए सद्गुणोंको स्वीकार करना उस ही का नाम स्वात्मकी रक्षा और दया है। इस प्रकार के धर्मका समाचरण करना यही मनुष्यजन्मप्राप्ति का जो सार है सो समझना । अहो सुज्ञ मनुष्यों ! इस प्रकार सद्धर्मको स्वीकार करके प्राप्त मनुष्य जन्मको सार्थक कर अखंडसुखके भोक्ता बनो यही नम्र प्रार्थना है ।