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________________ [ ६६ ] १ " काम " - इस शत्रुके योगसे सब संसारी लोगोंका जीव व्याकुल होरहा है, अपना भाव भूल कर दुःखको सुख मान बैठे हैं स्त्री, पुरुष विषयोपभोग भोगते हैं उसे काम कहते हैं । विष जहर को कहते हैं और 'य' प्रत्यय लगानेका कारण यह है कि विष तो स्पर्शनेसे तथा खानेसे प्राणहरण करता है और विषय तो स्मरणमात्र से ही मनुष्य को बावला बना देती है फिर सेवन करने से उसका परिणाम खराब होवे इसमें संशय ही क्या ? इसलिए साधु महापुरुष तो सर्वथा ब्रह्मचर्यव्रत पालते हैं, स्त्रीमात्रको माता भगिनीके समान समझते हैं, परंतु गृहस्थसे संपूर्ण ब्रह्मचर्य पलना मुश्किल है गृहस्थाश्रम में विषय सेवन की गरज फक्त पुत्र प्राप्ति के लिए होती है, इस कार्यके साधनके लिए फक्त एक महिने में एक दो दिन ही होते हैं, अनंतर सब महिने ब्रह्मचर्यव्रत पालना चाहिए । वीर्य को शरीरका राजा कहा है, इसका जितना अधिक रक्षण होगा उतना ही आत्माको ज्यादा सुख प्राप्त
SR No.006293
Book TitleSaddharm Bodh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherNanebai Lakhmichand Gaiakwad
Publication Year1863
Total Pages98
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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