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इन ६ प्रकार के प्राणियों को हिंसा नहीं करना, संरक्षण करना उस ही का नाम अहिंसा [दया] है और यही धर्म है।
धर्म के भेद उक्त ६ ही प्रकार के प्राणियों का सब लोगोंसे समान संरक्षण होना बहुत कठिन है इसलिये धर्म के दो विभाग किए हैं यथा
१ सागारी धर्म-अर्थात् गृहस्थावस्था में रह कर संरक्षण करना, सो और २ अनगारी धर्म-संसार के कमौका त्यागकर साधु होकर संरक्षण करना सो,
साधु धर्म । जिन महान् पुरुषों ने साधुवृत्तिको स्वीकार किया है उनका शरीर अपनी आत्मा को उद्धार करके अनेक संसारी प्राणियों का उद्धार करने के लिये ही हुआ है । वे साधु उक्त ६ ही प्रकार के प्राणीयों की किंचित् मात्र भी हिंसा करते नहीं, झूठ बोलते नहीं हैं, चोरी करते नहीं हैं, अखंड ब्रह्मचर्य पालते हैं, और किंचित परिग्रह-द्रव्य