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[ २३ ] When ye make many prayers, I will not, hear your hands are full of Blood.
अर्थात--जिस वख्त तुम प्रार्थना करने के लिये मेरी तरफ ऊंचे हाथ करोगे उस वख्त में मेरी आखों तुम्हारी तरफ से फिराकर दूसरी तरफ लगाऊंगा, और तुम प्रार्थना पर प्रार्थना करोगे तो भी मैं उसको स्वीकार नहीं करूंगा क्यों कि तुम्हारे हाथ जीवहिंसाके खून से अपवित्र हुए हैं।
उक्त प्रकार प्रायः सब धर्म के शास्त्रों का उपदेश “ अहिंसा” (सब प्राणीयों की दया करना ये ही ) धर्म है, यह निश्चयात्मक जानना।
'' प्राणी के प्रकार । शास्त्र में प्राणी ६ प्रकार के कहे हैं यथापुढवी, आऊ, तेऊ, बणास्सइ, तस्स-जैन धर्म;
जल विष्णुः म्थलं विष्णुर्विष्णुः पर्वतमस्तके । ज्वालामालाकुले विष्णुर्विष्णुः सर्वजगन्मयः ।।
(विष्णुपुराण ) अर्थात्-१ मट्टी, २ पाणी ३ अग्नि, ४ वायु ५ वनस्पति, और ६ त्रस, ( हलते चलते जीव)