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________________ [ १२ ] निद्रा लेता है, सदा उद्यमशील है, अति संतोषी है तथा स्वामीके मालकी रक्षा करने में डरता नहीं, ऐसे कुत्तेकी उपमा अधर्मी पुरुषसे कौन देगा। तब ज्ञानी बोले- 'मनुष्यरूपेण खराश्चरंति' अर्थात्-पापी गधेके समान है। तब विद्वान् बोलाशीतोष्णं नैव जानाति, सर्वभार वहेदिव । तृणभक्ष्येण सन्तुष्टः, सदा क्षिप्रोज्वलाननः ॥ ७ ॥ गधा शीत उष्णताकी पीडाको समभावसे सहन करता है, सब प्रकारके भारको ढोता है, तृणादिक भक्षण कर सन्तुष्ट होता है । शुभ शकुन वाला होनेसे उज्वल मुखी है, अधर्मीकी उससे उपमा नहीं दी जा सकती है। ___ ग्रंथकारोंने ऐसे अनेक दृष्टांत देकर अधर्मी मनुष्यकी नीचताका वर्णन किया है । सारांश यही है कि पापी मनुष्यके समान संसारमें और कोई नीच वस्तु नहीं है, सबसे नीच पुरुष अधर्मी ही है। हे भव्य जीवो ! जिस मनुष्यदेहकी प्राप्तिके
SR No.006293
Book TitleSaddharm Bodh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherNanebai Lakhmichand Gaiakwad
Publication Year1863
Total Pages98
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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