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लिए स्वर्गवासी देव भी सदा प्रार्थना करते हैं, जिस शरीरमें बडे अवतारिक पुरुष जन्म लेकर सुरेंद्रके पूज्य हुए हैं, जिस शरीरकी प्राप्तिसे संसार का अन्त होकर मोक्षकी प्राप्ति होती है, ऐसे परमोत्तम शरीरको अन्य दृष्टान्तों द्वारा नीच बताना अधर्मका ही फल है । यह विचार स्वयमेव अपने हृदयमें करना चाहिये तथा इस नरदेहको दुष्ट कर्मोंमें फँसाकर व्यर्थ न गमाना चाहिये जिस उद्देश्यले शरीरकी प्राप्ति हुई है उसकी सिद्धि कर लेना ही सत्पुरुषोंका लक्षण है।
मनुष्य जन्मका कर्तव्य "धर्मो विशेषः खलु मानुषाणां” अर्थात् मनुष्य जन्म प्राप्त होनेका मुख्य कर्तव्य “धर्म करना है"
धर्मका महत्व यहांपर यह प्रश्न होता है कि धर्ममें ऐसा कौनसा गुण है जिससे उसे इतना महत्व दिया गया है। इसका उत्तर एक ग्रंथकारने निम्न भांति दिया है।