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________________ ३ स्वाम कहै-इम नहीं सरीखा, श्रावक कसाइ बे जूआ संपेख। ओटौ कहै--दोनूं थया सरीखा, दोयां नै दीयां पाप कहौ ते लेख।। स्वाम. ४ पूज कहै-थारी माता नै पायो, सचित पाणी री लोटी भर सोय। ___ कहौ तिण मैं थारे नींपनों कांइ? ओटो कहै-पाप छै अवलोय।। स्वाम. ५ पुनरपि स्वाम ओटा नै पूछ्यौ, पांणी लोटी भर वेस्या नै पायौ। धर्म थयो कै पाप हुवौ थांनै? ओटो कहै-तिण मैं पिण पाप थायौ। स्वाम. ६ पूज कहै-दोयां मैं पाप थाप्यौ, थांरी माता मैं वेस्या सरीखी थारै न्यायो। जो माता वेस्या नैं न गिणौ सरीखी तौ, श्रावक कसाई सरीखा न थायो।स्वाम. ७ अति कष्ट थयां लोक कहै-ओटोजी, माता नै वेस्या सरीखी मांनी। चित मांहै चिमत्कार लहै चातुर, अणहुंता अवगुण धारै अग्यांनी।।स्वाम. ८ संमत' अठारै पैंताळीसै सांमी, प्रगट चौमासौ कियौ पीपार। जनक हस्तु कस्तु नौं जगु गांधी, वारू चरचा सूं सरधा चित धार।। स्वाम. ९ भेषधारी तिण नैं लागा भिड़कावा, खोटी सरधा भीखनजी री खार। एक गृहस्थ श्रावक नै बासती आपी, पाप कहै तिण माहि अपार॥ स्वाम. १० वलेकिण हीगृहस्थरी बासती चोर ले गयौ, तिण रौ पिण गृहस्थ नै पाप बतावै। श्रावक नै चोर गिणै इम सरीखो, जब जगू स्वामीजी नै पूछ्यौ प्रस्तावै।। स्वाम. ११ पूज कह्यौ उणांनैंज पूछणौ, चदर थांरी एक ले गयौ चोर। एक चदर थे श्रावक नैं आपी, जद थांनै डंड किण रौ आवै जोर? स्वाम. १२ तसकर चदर लेइ गयो तिण रौ, प्राछित मूल न सरधै संपेख। श्रावक नै दीधां रो प्राछित सरथै, जद तौ देणौज खोटौ छैहौ ज्यारै लेख।। स्वाम. १३ जाब सुणी समज्यौ, जगू गांधी, ऐसी स्वामीजी री बुद्धि उत्पात। सिद्धत री सरधा नै थापण साची, न्याय विविध मेलव्या स्वामीनाथ॥स्वाम. १४ सोळमी ढाळ मैं भीक्ख स्वामी री, ओळखाई बुद्धि सरधा उदार। श्री जिन आगन्या धारी सिर पर, सरधा दिखाय दीधी तंत सार।। स्वाम. १. भि. दृ. १६। २. हाथ से बुनी खादी, जिसे प्राचीन भापा में 'दो घटी' कहा जाता था। भिक्खु जश रसायण
SR No.006279
Book TitleBhikkhu Jash Rasayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJayacharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1994
Total Pages378
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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