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________________ दूहा १ सरधै सावज दांन मैं, पुन्य मिश्र एकंत। पूछ्यां कहै मुझ मून है, केइ इसड़ौ कपट करंत।। २ पूछयां न कहै पाधरो', पुन्य मिश्र पख एक। आख्यौ हेतू ओपतौ, वारू स्वाम विसेख। ३ किण ही पुरुष पूछा करी, नार भणी पिउ नाम। थारै धणी रो नाम कुंण, स्यूं पेमौ है तांम? ४ कहै-पेमौ क्यांनै हुवै, वळि पूछ्यौ तिण वार। नाथू नाम है तेहनौ, कंत तणो अवधार? ५ कहै-नाथू क्यांनै हुवै, वळि पूछ्यौ सुविसेख। पाथू है नाम तेहनौ, तुझ पीतम संपेख? ६ कहै-पाथू क्यांनै हुवै, इम बहु नाम विचार। सागे नाम आया थकां, रहै अबोली नार।। ७ सेणौ३ जब जांणै सही, इण रा पिउ रौ नाम। एहिज छै तिण कारणै, न रही इण ठांम। ८ ज्यूं सावज दान मैं पाप है, कहै-क्यांनै है पाप? मिश्र पूछ्यां पिण इम कहै-- क्यांनैं 8 मिश्र थाप? ९ पुन पुछ्यां मून रहै, न करै तास निषेह। सेणौ जब जांणै सही, इण रै सरधा एह॥ ढाळ : १७ (प्रभवौ मन मैं चिंतवै) १ पूज भीखनजी पधारीया, वर इक गांम विमास। साध अमरसिंगजी तणा, पूज आया त्यां पास। २ प्रश्न भीक्खू सांम पूछीयो, अनुकंपा मन - आंण। मरता नै मूळा दिया, जिण मैं स्युं हुऔ जांण? REE EFFEEEEEEEEEEE १.सीधा। २. भि. दृ. ६२। ३. समझदार। ४. हुवै (क)। ५. निषेध। ६.भि. दृ. ११०। भिक्खु जश रसायण : ढा. १७
SR No.006279
Book TitleBhikkhu Jash Rasayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJayacharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1994
Total Pages378
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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