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१ प्रथम
खंड
बुद्धि ३ मतिग्यांन
खंड
पहिछांण,
रचीयो
दूजै गुण खांन, दृष्टंत
दूहा
आख्यौ दांन दया असल,
खण्ड द्वितीय
सोरठा
सूत्र नेश्राय
४ सूत्रे कहीज
जिम
उत्पत्तिया महाबली, साध्यौ
४६
बुद्धि सूं मिलती बात वर, सहु
५ सूत्र साख सरधा सखर, स्वाम सूत्र तणी ने श्राय
६ च्यार बुद्धि असूत्र-नेश्राय
७ हिव असूत्र मतिज्ञान
८ केवळ
पज्जवां ९ सखरो
१. नंदी सूत्र ३८ ।
महिमानिलौ, दोय भेद सिद्धंत छै, सूत्र बात सहु, निमल
भीक्खू स्वाम नों, महा साचा न्यायज सोधीया,
दृष्टंत
१० उत्पत्तिया बुद्धि सूं अख्या, मिलता
केसी नी पर सुद्ध कथ्या, दृष्टंत
सुद्ध, आगम
वर
सूं चिंतवी, दियै ओळखौ, नेश्राय हद, दिया महा निरमळौ, स्वाम
ऊतरतौ कह्यौ, मतिग्यांन लेख पिछांणजो, सूत्र
रूड़ी
त
सूं।
कहूं दयाल ना।।
भाख्यौ
सिव पथ
तसुं
बिना
२. कथा (क) ।
दिखाई
अर्थ
विविध
नंदी'
स्वाम
त
भगवती
मोटो
देइ
न्याय
अति
जिनराज ।
साज ॥
देख।
संपेख॥
सूत्र-नेश्राय ।
-
असूत्र ने श्राय ॥
सार।
उदार ॥
दृष्टंत।
विरतंत ||
दृष्टंत।
सोभंत॥
महाराज।
साज ॥
मतिग्यांन।
प्रधान ||
मुनिंद
दीपंद ॥
भिक्खु जश रसायण