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________________ १३ ईंट उपाड़ मूंकी कृष्ण आवत, अनुकंपा पुरुष नी आंणी जी। ___ 'अंतगड़ दशा"मैं पाठ अनोपम, जिण आगन्या नहीं जाणी जी।। स्वाम. १४ 'उत्तराधन बारमें अधेने २, अनुकंपा हरकेसी नी आंणी जी। ___छात्रां नै ऊंधा पाड्या जख छळकर, प्रत्यख सावज पिछांणी जी।। स्वाम. १५ रेणादेवी री कुरणा कर जिणऋष, सांहमौ जोयौ साख्यातो जी। 'नवमै अधेन ज्ञाता'माहै न्हाळी, अनर्थ दुख उतपातो जी॥ स्वाम. १६ कोई कहै कलुण रस छै कुरणा, अणुकंपा नहीं आखी जी। ____ अनुकंपा कुरणा दया अनुक्रोस ए, कलुण रस नां नाम अमर साखी।। स्वाम. १७ 'करी नेम जीवांरी अनुकंपा, अनुक्रोस पाठ आछो जी। तिण अनुक्रोस रो अर्थ-कुरणा टीका मैं, सावज निरवद कलुण रस साचो जी।। स्वाम. १८ समक्त विण मेघ गज-भव सांप्रत, अनुकंपा सुसला री आणी जी। _ 'प्रति-संसार मनुष आयु प्रगट, प्रथम अधेन ज्ञाता मैं पिछाणी जी।। स्वाम. १९ निज गर्भ री अनुकंपा निमतै, रूड़ौ भोगव्यो धारणी रांणी जी। 'प्रथम अधेन ज्ञाता' माहे प्रतख, जिहां जिण आगन्या किम जांणी जी।। स्वाम. २० अभयकुमार नी कर अनुकंपा, दोहलौ पूर्वी धारणी रौ देवौ जी। ए पिण 'ज्ञाता रै प्रथम अधेने १०, सांप्रत सावज जांणौ स्वयमेवो जी॥स्वाम. २१ शीतल तेजू लेस्या मैहली स्वामी, अनुकंपा गोसाला री आंणी जी। . 'सूत्र भगवती पनरमैं शतके ११, वृति माहै सराग वखांणी जी॥ स्वाम. २२ 'पण्णवणा सूत्ररै छतीसमैं पद १२, लब्धि तेजू फोड्यां क्रिया लागै जी। तिणरा दोय भेद उष्ण शीतल तेजू छै, शीतल तेजू फोड़ी वीर सागै जी।। स्वाम. २३ कही साधु री हरस छेद्यां वैद नै क्रिया, नहीं साधु रै क्रिया निहाळी जी। पिण धर्मांतराय साधू रै पाडी वैद, 'भगवती सोळमा रै तीजै १३ भाळी जी।। स्वाम. १. अंतगड वर्ग. ३ सूत्र ९६, ९७। २. उत्तराध्ययन. अ. १२ गा. २४। ३. ज्ञाता. श्रुत. १ अ. ९ सूत्र ४१। ४. उत्तराध्ययन अ. २२ गा. १८। ५. सम्यक्त (क)। ६. प्रत (क)। ७. परित्त संसार। ८. ज्ञाता श्रुत. १ अ. १ सूत्र १८२। ९. ज्ञाता श्रुत. १ अ. १ सूत्र ७२। १०. ज्ञाता श्रुत. १ अ. १ सूत्र ५९। ११. भगवती शतक १५ सूत्र ६५। १२. पन्नवणा पद ३६। १३. भगवती शतक १६ सूत्र ४९। भिक्खु जश रसायण
SR No.006279
Book TitleBhikkhu Jash Rasayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJayacharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1994
Total Pages378
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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