________________
ढाळ : १० (पूजजी पधारो हो नगरी सेविया)
१ थिरपालजी स्वामी फतैचंदजी, संत दोनूं सुखकार हो। महामुनि ! ___ तात-सुतन' दोनं तपसी भला, सरल भद्र सुविचार हो। महामुनि !
थे भला नै अवतरीया हो भीक्खू भरतखेत मैं| २ टोळा मैं छतां बड़ा स्वाम भीक्खू थकी, त्यां नै वड़ा राख्या भीक्खू स्वाम हो। महामुनि! ___यांनै छोटा करनै हूं बड़ो होवू, इण मैं स्यूं परमारथ ताम हो? महामुनि! थे भलां. ३. करै एकांतर भीक्खू ऋप भला, लेवै आतापन लाभ हो । महामुनि!
व्रत अव्रत लोकां नै बतावता, जन हरखै सुण जाव हो। महामुनि! थे भला. ४ सरल भद्र केइ लागा समझवा, वारू केयक बुद्धिवान हो । महामुनि!
ओळखणा आइ सरधा आचार नी, पायौ धर्म प्रधान हो। महामुनि! थे भला. ५ थिरपालजी फतेचंदजी इम कहै, स्वाम भीक्खू नैं सोय हो। महामुनि!
क्यूं तन तोड़ौ थे तपसा करी, समझता दीसै वहु लोय हो।। महामुनि!थे भला. ६ थे बुद्धिवांन थांरी थिर बुद्धि भली, उत्पत्तिया अधिकाय हो। महामुनि!
समजावौ बहु जीव सैणां भणी, निर्मळ वतावी न्याय हो।। महामुनि! थे भलां. ७ तपसा करां म्हे आत्मतारणी. अधिक पौहच नहीं और हो। महामनि!
आप तरौ थे तारौ अवर नैं जाझौ बुद्धि नौं जोर हो। महामुनि! थे भलां. ८ संत बड़ां रौ वचन भीख सुणी, धार्यो धर चित धीर हो। महामुनि!
न्याय विशेष बतावता निरमळा, हरख्यौ हियडौ हीर हो॥ थे भला. ९ दान-दया हद न्याय दीपावता, ओळखावता आचार हो। महामुनि!
जिन वच करी प्रभु-मागजमावता, समज्या बहु नर-नार हो।। महामुनि! थे भला. १० प्रगट मेवाड़ मैं पूज पधारीया, जुक्त आचार नी जोड़ हो। महामुनि!
अनुकंपा दया दांन रै ऊपरै, जोड़ां करी धर कोड़ हो। महामुनि! थे भलां.
-
१. पिता-पुत्र।
२. सूं (क)।
भिक्खु जश रसायण : ढा. १०