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३ भीखू वलता भाखै भलौ रे, म्हे किम मानां तुझ बात।
म्हे सूत्र बाचै निरणौ कियौ रे, संक नहीं तिलमात॥ चतुर नर. ४ तीरथ श्री जिणवर तणौ रे, छेहड़ा तांई विचार।
श्री जिण आणा सिर धरी रे, सुद्ध पाळसूं संजम भार॥ चतुर नर. ५ ए वचन सुणी द्रव्य-गुरु भणी रे, तूटी आस तिवार।
मोह आयौ तिण अवसरै रे, चिंता हुई अपार॥ चतुर नर. ६ 'सांमजी-ऋष'२ नौं साध थौ रे, उदैभांण कहै एम।
टोळा तणा धणी बाजनै रे, आंसूपच करौ केम।। चतुर नर. ७ किणरौ एक जावै तरै रे, आवै फिकर अपार।
म्हारा पांच जावै सही रे, गण मैं प. बघार ॥ चतुर नर. ८ मोह देखी द्रव्य-गुरु तणे रे, दृढ़ चित भीक्खू धार।
म्हैं घर छोड्यौ तिण दिने रे, मुझ माता रोई अपार॥ चतुर नर. ९ भागळां भेळौ हूं रहूं रे, तौ परभव मैं पेख।
विविधपणे रोवणौं पड़े रे, पामै दुख विसेख॥ चतुर नर. १० कठिण छाती इण विध करी रे, वारू ज्ञान विचार।
सेंठा रह्या तिण अवसरै रे, उत्तम जीव उदार।। चतुर नर. ११ द्वेष सूं तुरत नर नां डिगै रे, राग दै तुरत चलाय।
द्रव्य-गुरु मोह आण्यौ सही रे, पिण कारी न लागी काय॥ चतुर नर. १२ फेर बोल्या रुघनाथजी रे, जासी कितियक दूर। ___'आगै थारौ ५ नै पूढ़ माहरौ रे, लोक लगावसूं पूर॥ चतुर नर. . १३ परीसह खमण री मुझ मन मझै रे, भीक्खू भाखै विसाल।
इम तौ डरायो नहीं डरूं रे, जीवणौ कितौयक काळ।। चतुर नर. १४ विहार कियौ बगड़ी थकी रे, द्रव्य-गुरु लारै देख।
चरचा करी वडलू मझै रे, सांभळजो सुविसेख।। चतुर नर.
५. आगो थारो (क)। ६. पूठौ (क)।
१.वापस। २. स्थानकवासी एक टोळे के आचार्य। ३. अश्रुपात। ४. भेद।
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भिक्खु जश रसायण