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________________ ४. यां तीनू मैं हो भेळ म जांणौ लिगार, अन्तर सूत्र सीख सरधौ सही ॥ ५. और वस्तु मैं हो भेळ पड़ै जो आय, तौ पुण्य-पाप भेळा किम हुवै? ६ असुभ जोगां सूं हो बंधे पाप एकंत, सुभ सूं पुण पाप भेळा किसा जोग सूं? ७ एके करणी हो बंधै पुन्य के पाप, तिण मैं करणी तीजी जिन नां कही ॥ ८ भीक्खू भाखै हो द्रव्य - गुरु नै अवलोय, जिन वच ११ म्हैं घर छोड्या हो आतम तारण काम, ग्रही टेक नै परहरौ ॥ ९ सुध सरधा हो हाथ न आई श्रीकार, असल नहीं थाप दीसै घणा दोष री ॥ १० जो थे मांनौ हो सूतर नीं बात, तौ थेइज नहीं तर ठीक लागै नहीं । और १२ आप मांनौ हो स्वामी सूत्रांनीं बात, छोड़ ति सूं बार-बार कहूं आपनै ।। इक दिन परभव जावणौ ॥ रूड़ी पिण १३ पूजा - प्रसंसा हो लही अनंती वार, आंख १८ साची सरधा हो आदरसां सुखदाय, झूठी भिक्खु जश रसायण : ढा. ४ तब बोल्या रुघनाथजी ॥ मिश्र नहीं पुन्य देवौ दुर्लभ निरणय करौ आप एहनौं । १४ विविध विनय सूं हो आख्या वयण उदार, मान्या क्रोध करी उलटा पड़या ॥ १५ भीक्खू भारी हो स्वामी बुधि नां भंडार, मन सू ए हिवड़ां न दीसै समजता ।। १६ धीरै - धीरै हो समजावसूं धर पेम, आप तण सू आहार- पाणी तोड्यौ नहीं || करसां १७ भीक्खू भाखै हो भेळौ करां चौमास, चरचा साच - झूठ निरणय करां ॥ म्हांरा श्रद्धा सांहमौ जोय। नहीं कयौ विचारी उघाड़। देसां बिगड़ाय । बंधं । म थाप। आचार। नाथ। परिणाम | पखपात । श्रीकार । लिगार | विचार | एम। विमास । छिटकाय । १३
SR No.006279
Book TitleBhikkhu Jash Rasayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJayacharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1994
Total Pages378
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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