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________________ २२ सुविनीत रा समजावीया, साल दाळ भेळा होय जाय। ___ अविनीत रा समजावीया, कोकला ज्यूं कानी थाय॥ . ढा. ४१ गाथा ६२ २३ समझाया सुविनीत अविनीत रा, फेर कितोयक होय। ___ ज्यूं तावड़ौ न छांहड़ी, इतरौ अंतर जोय॥ ___ढा. ४१ गाथा ६३ २४ अविनीत नै अविनीत मिल, ते पामै घणौ मन हरख। ___ज्यूं डाकण राजी हुवै, चढवा – मिलियां जरख। ढा. ४१ गाथा ६४ २५ हाल देखी हंसली तणी, बुगली पिण काढी चाल। पिण बुगली सूं चाल आवै नहीं, ए दृष्टंत लीजौ संभाळ।। ढा. ४१ गाथा १०१ २६ कोयल रा टहुका सुणी करी, क्रां क्रां शब्द करै काग। सोभाग सुण सतीयां तणां, कुडै कुसतीयां अथाग। ढा. ४१ गाथा १०३ २७ गयवर नी गति देखनै, भुसै स्वांन ऊंचा कर कांन॥ ढा. ४१ गाथा १०५ २८ पोपां बाइ रा राज मैं, नव तूंबा तेरे नेगदार।। ढा. ४१ गाथा १०८ २९ आंधां नै मूळ सूझै नहीं, तांबा ऊपर झोळ॥ __ ढा. ४१ गाथा १११ ३० ज्यारै सूत्र तणी नहीं धारणा, प्रकृति अतिघणी अजोग। ते थोड़ा मैं रंग-विरंग हुवै, मोटौ दर्शण मोह रोग।। ढा. ४१ गाथा १२१ ३१ अनेक स्याळ आये अडै, को किम भागै सीह। जे आचारे ऊजळा, ते . क्यांनै आणै बीह। भीक्खु चरित (मुनि हेमराज कृत) ढा. ३ गाथा ६ ३२ और वसत में भेळ पड़यां थी, चोखी वसत विगडै छै वसेख। तो पुन मैं पापरौ भेळ किहां थी?, सांसौ हुवै तो सूतर ल्यो देख। भीक्खु चरित (मुनि वेणीराम कृत) ढा. २ गाथा ४ सूक्तियां/लोकोक्तियां ३२५
SR No.006279
Book TitleBhikkhu Jash Rasayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJayacharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1994
Total Pages378
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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