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________________ परिशिष्ट-४ प्रस्तुत ग्रंथ में प्रयुक्त धुनें (देसियां) २७९ २०६ २९५ २६५ १०२ ७४ १ अभिनन्दन वांदूं नित मनरळी (सल्हा मारू को गीत) २ आ अणुकम्पा जिन आज्ञा मैं ३ आज आनन्दा रे ४ आवियो रावण लोक डरावण (कड़खा) (रीस रढ राण सुण वाण इंदा तणो) ५ एक दिवस लंकापति (कृष्ण करै उपवासजी) (चवदै थानक रा जीव ए) ६ कर्म भुगत्यांइज छूटीये ७ कहै छै रूपश्री नार सुणजो ८ कामणगारो छै कूकड़ो ९ किरपण दीन अनाथ ए (जाणै छै राव तूं बात ए) (भजिये नित स्वामी सुपास ए) १० कीड़ी चाली सासरे रे (हनुमंत गायलो रे) ११ कै तैं पूंजी गोरज्यां कै रौं ईसर देवो ए १२ खिमावंत जोय भगवंत रौ रे ज्ञान १३ चतुर नर बात विचारो एह १४ चेत चतुर नर कहै तनै सतगुरु १५ जम्बू कह्यो मानलै रे जाया! (चोरासी में चाक ज्यूं रे) १६ जाणपणौ जग दोहिलौ रे लाल ७७, २५८, २८१ १२१ २२१, २५३, २९९ १८८ १७४ २९१ १७० ४७ १२६ ३२६ भिक्खु जश रसायण
SR No.006279
Book TitleBhikkhu Jash Rasayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJayacharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1994
Total Pages378
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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