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तीर्थंकर
तेजोलेश्या
थानक थापिता
दया दर्शनमोह
दान
दीक्षा
देशव्रत द्रव्य क्रिया द्रव्य चरित्र द्रव्य निक्षेप
धर्मचक्र का प्रवर्तक। (साधु, साध्वी, श्रावक एवं श्राविका - इन चार तीर्थों की स्थापना करने वाला) विशिष्ट तपस्या से प्राप्त लब्धि-विशेष। इससे सम्पन्न व्यक्ति अग्नि-प्रयोग से किसी का हितअहित कर सकता है। साधुओं के निमित्त बनाया जाने वाला धर्म स्थान मुनि के निमित्त स्थापित, मुनिचर्या से संबंधित एक दोष। अपनी या पराई आत्मा को पाप से बचाना। सत्य श्रद्धा की आस्था को विकृत करने वाला कर्म। सम्यग् दर्शन का धात करने वाला कर्म। अपने या पराये उपकार के लिए वस्तु का वितरण। व्रतों का स्वीकरण। आंशिक रूप में व्रत की आराधना करने वाला अनुपयोग अवस्था में की जाने वाली क्रिया। औपचारिक संयम। भूत और भावी अवस्था के कारण तथा अनुपयोग।
औपचारिक साधु वेशधारी। निर्णायक ज्ञान को स्मृति के आधार पर स्थिर रखना। भगवान महावीर के भाई के नाम पर चलने वाला संवत। प्रतिदिन एक घर में एक स्थान से लिया जाने वाला आहार। आमंत्रित भोजन। अर्हद् वाणी का अपलाप कर एकान्त आग्रह से अपना मत स्थापन करने वाले जैन मुनि। तप के द्वारा कर्म विलय से होने वाली आत्मा की उज्ज्वलता। पाप रहित।
द्रव्य लिंगी
धारणा
नंदीवर्धन संवत्
नित्यपिंड
निन्हव
निर्जरा
निरवद्य
पारिभापिक शब्द
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