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________________ ६ वखांण कीयौ विसतार सूं, जैतोजी आया समाइ करवा भणी, ७ गुण-ग्रांम किया त्यां अति घणां, पूज कहै परिणांम चोखा माहरा, ८ ' आपेई, ' पाणी पीधौ पूजजी, चरम सबद च्यारूं कह्या, साध-श्रावक सुणतां कह्यौ सांमजी, वले कयौ - साध आवै अछै, १० चोथो सबद इसड़ौ कह्यौ, गुलोजी लूण्यो कहै - सांमीजी तणो, ११ भारमलजी सांमी इम वीनवै, किण ही माहे मन मत राखजो, १२ अवध ग्यांन उपनौ नहीं जांणीयो, यां जांण्यौ मन साधां मैं गयौ, १३ घणां गांवां रा श्रावक - श्रावका, चरम उछव करै चूंप सूं, ९ १. स्वयंमेव / अपने हाथ से । २९८. सुखे सूता हो पाछली रात माय । तिण प्रणम्या हो श्री पूज पाय | ओ. धिन धिन कहै हो आप मोटा अणगार । तिण री संका मत आणजो लिगार || ओ. पोहर दिन हो जाझेरौ आयौ जांण । इचरजकारी हो बोल्या इमरत वांण ॥ ओ. सूंस वरत हो केराऔ सैहर माय । आरजियां होआवै छै चलाय | ओ. धीरा बोल्या हो तिण री ' विगत २ न काय । मन गयो साधां आरजियां रे माय ॥ ओ. थानै होज्यो हो सांमी सरणा च्यार । आप कीधौ हो घणां जीवां रो उधार || ओ. तिण सूं पाछौ हो नहीं पूछ्यौ लिगार । नहीं कीधौ इण बात रौ विचार ॥ ओ. दरसण करवा हो आया बहू थाट । इसरा हुआ हो सरीयारी मैं गैहघाट | ओ. २. खबर । भिक्खु रसायण
SR No.006279
Book TitleBhikkhu Jash Rasayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJayacharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1994
Total Pages378
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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