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७ गांमां-नगरां करता उपगार, आया सोजत सैहर मझार।
आछेलाल! रायमलजी री छतरी मैं ऊतस्या जी॥ ८ हुकमचंद आछो आयौ तांम, पूज नै वांद्या सीस नाम।
___ आछेलाल! विणती तो विध संकरी जी॥ ९ चोमासौ करौ सरीयारी माय, मारी पकी हाट विराजो आय।
__ आछेलाल! पूज मां लीधी वीणतीजी॥ १० बगड़ी कंटाळ्यै होय, वीणती कीधी घणां जोय।
आछेलाल! चोमासा री अरज मांनी नहीं जी। ११ पूज आया सरीयारी चलाय, दियौ चोमासौ ठाय।। आछेलाल।
आग्या ले पकी हाअ विराजीया जी।। १२ सरीयारी सोभै कांठा री कोर, 'जाडी१ माजन वसती जोर।
आछेलाल! 'दोला-दोला" कोट ज्—'मगरा दीसता जी॥ १३ भारमलजी खेतसी उदेरांम, रायचंद ब्रह्मचारी तांम।
आछेलाल! जीवोमुनि वैरागी भगजी भगत मैं जी॥ . १४ सप्त रिष सहित तिण वार, ग्यानांदिक गुण रा भंडार।
आछेलाल!संजम-तपसुध अराधता जी।। १५ रागी घणा सैहर मझार, तो वांदण आया नर-नार।
आछेलाल! भवियण रे मन भाविया जी।। १६ हिवे सांवण मास मझार, आवसग अर्थ विचार।
आछेलाल! लिख-लिख सिष नै बतावता जी।। १७ गोचरी पिण फिरिया ठांम-ठांम, दरसण देवा कांम।
आछेलाल! सावण सुद पूनम लगे जी।।
३. पहाड़।
१. अधिक। २. चारों ओर।
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भिक्खु जश रसायण