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________________ दूहा १ तेरस नो दिन आवीयो, ध्यावता निरमल ध्यांन। सके तो जांणं सांम नै, उपनौ दीसै अवधि ग्यांन।। २ साध बैठा सेवा करै, बोलता मीठी वांण। श्रावक-श्रावका हरस सं. करै सांमी नां बखांण।। ३ दिन दोढ पोहर आसरै, चढ़ती बेळां सोय। __ वचन प्रकासै किण विधे, सांभळजो सहू कोय। ढाळ : १० (वीस विहरमाण सदा सासता) १ साधु आवै स्हांमा जावौ, मुनि प्रकासै वाणं। __वले साधवियां आवै बारे, सांमी बोले वचन सुहाणं।। भवियण ! नमो गुर गिरवांण. नमो भीखू चतुर सुजाणं।। २ कै तो कह्यौ अटकळ उनमांन, के कह्यौ बुध प्रमाणं। कै कोइ अवधि ग्यांन उपनौ, ते जाणै 'सर्व-नाणं"।। भवियण! ३ केइ नर मुख सूं इम भाखे, सामी रा जोग साधां मैं वसिया। एतले एक महुर्त आसरै, साध आया दोय तिसिया।। भवियण ! ४ वकसत-वकसत साधू वांदै, चरण लगावै सीसं। नर-नारी जाण्यो अवधि उपनौ, साचौ वसवावीसं। भवियण ! ५ सांमी साधू आया जांणी, मसतक दीधौ हाथं। एतले एक महुर्त आसरे, आयौ साधवियां रो साथ।। भवियण! ६ वेणीरांमजी साध वदीता, साथे कुसालजी आया। साधवियां वगतू झूमा डाही जी, प्रणमै भीखू रा पाया। भवियण ! ७ परचार ज्यूं-ज्यूं आय पूगै छै, नर-नारी हरपत थावै। धिन हो धिन थे मोटा मुनीसर, इम गुण भीखू नो गावै।। भवियण ! १. सर्वज्ञा २. स्वामीजी के मुखारविन्द से निकले हुए अदृश्य वचन। भिक्षु-चरित : ढा. १० २६७
SR No.006279
Book TitleBhikkhu Jash Rasayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJayacharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1994
Total Pages378
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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