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करै नमोथुणं अरिहंत सिधां नै, तीखे वचनें तांम बे।
घणां नर-नारी देखतां-सुणतां, संथारौ पचख्यौ भीखू सांम वे।। ८ भादवा सुध बारस भली तिथ, वार सोम विचार बे।
त्यां वेराग आयौ नै संथारो ठायो, छेहलो दुघड़ियो श्रीकार बे।। ९ धिन-धिन कहै बहू नर-नारी, धिन-धिन केंहता वेला देव बे।
सुध साध मुनीसर मोटा त्यांरी, इंद्रादिक करै सेव बे।। १० घणां नर-नारी आवै नै सीस नमावै, बोलै बे कर जोड़ बे।
धिन-धिन हो धिन थे मोटा मुनीसर, कीधी बड़ा-बड़ा री होड़ बे।। ११ केइ सनमुख आया नै प्रणमै पाया, विकसत हुवै विलास बे।
खांत करी खमावै नै अघ उड़ावै, हीये आंण हुलास बे॥ १२ केइकां अभिग्रहौ एहवौ कियौ थो, यां साचौ मत काढ्यौ होसी सार बे।
तोसंथारौ करसी नै जीतब सुधरसी, पको उतरसी पार बे॥
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भिक्खु जश रसायण