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________________ करी, आछी सीख: आलवणा उज्जम मन माहि आणता, आज्ञा २ वलें आयो पर्व पजूसणां, धर्म सांमी : कार्य किणविधे, सुधारै आप ३ हिवे पांचम रे दिन पूजजी, सुदि पख पांचम नै संवछरी, भाद्रवौ. ४ पूज कीयौ छठ पारणौ, उलटौ किण विध करै संलेखणा, १ दूहा चतुर विचखण चिंतव्यौ दीसै, ४ माहोमा नर-नारी कहै मुख सूं, १. आलोयणा (आलोचना ) । २. नवमी। ३. चावल । ढाळ : ८ (धिन प्रभु रामजी ) ५ तो मन रा मनोरथ आपेइ पूरां, साधां माहोमा विचार करे नै, पूज नै कहै - पुद्गल हटीया दीसै', ६ सांमली हाट सूं उठ मुनीसर, पकोइ हाट नै पका मुनीसर, भिक्खु चरित : ढा. ८ दीधी : वले ऊपर वधंतो छै क्रियौ सुज थो पड़ीयो बे। उपवास २ इग्यारस रे दिन अमल' आगारे, भली भावना भावता भीखू ३ बारस रे दिन बेलो कीयौ, १ सातम आठम नम' मुनीसर, अलप सो लीधौ अहार दसम रे दिन चोखारे चालीस, आसरै दस मोठ विचार वे ॥ धिन. धिन धिन भीखू सांमजी, धिन धिन त्यांरो नांम जी । त्यां कीधौ आछौ कांम जी, आछौ जस अमांम जी ।। कियो औसो बे। करता कर्मा रो नास बे ॥ धिन. पूज पचख दीया तीनूं आहार बे। हिवे वेगौ करणौ संथार बे॥ धिन. जो सांमीजी करे संथार बे। ओ आछो अवसर सार बे ॥ धिन. रायचंद ने मेल्या सीखाय बे। सुण नै सीह जिम उठता मुनिराय बे|| चलीया-चलीयां देवे पको संथारौ ठाय बे॥ आय बे। चित • सार । .. धार।। जाय। ताय ॥ उपवास । मास ॥ आय। ल्याय ॥ ४. अफीम । ५. शारीरिक शक्ति क्षीण होती हुई दिखाई दे रही है। २६३
SR No.006279
Book TitleBhikkhu Jash Rasayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJayacharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1994
Total Pages378
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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