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________________ दूहा भाळ॥ काय। १ आचार ऊपर हजारां कीया, समकत ऊपर हजारां सोय। व्रत-इव्रत नै उपरै, ग्रन्थ हजारां जोय॥ २ वले उपदेस अनेक विध, रचीया वचन रसाळ। "तेरे दुवार' ताजा किया, सूत्र सांहमौ ३ उपगार आछौ कीयो, कुमीन राखी _ 'सके तो' जांणू सांम जी, पदवी तीर्थंकर पाय। ४ ज्यां-ज्यां विचस्या पूज जी, मिथ्यात देवै मिटाय। उतकष्टी रसांण उपजै तो, पदवी तीर्थंकर पाय॥ ५ ग्यांनी कह्यौ ज्ञाता मझे, संका म धरजो सोय। बीसमो बोल विचारजो, निरणौ कीजौ जोय॥ ६ उतपात बुध अतही भली, च्यारूं बुध रे माय। ते हुंती घट पूज नै, निरमळ मेळ्या न्याय॥ ढाळ : ३ (धिन धिन जीव जी) १ आठ संपदा सहीत आचार्य, 'कुल-मंडण' कुल-दीवो। पांचमे आरे प्रगट. हुवां रे, भीखू-रिष---वांदो' भवजीवो।।- - धिन भीक्खू सांम जी॥ २ पाखंड-पंथ नै परहस्यो रे, मोटा मुनि मतवंत। सुमत गुपत महाव्रत सही, ऐ तेरे पाळे ते तेरापंथ॥ तिथ. ३ दोष बयालीस टालता रे, बावन टाळे अणाचार।। सूत्र-न्याय सुध-परूपणा रे, अरिहंत आगन्या धार॥ धिन. ४ सूत्र नै सुध वाचता रे, मेलता सुध सरूप। मीठे वचनें मुनिसरू रे, वागरे वांण अनूप।। धिन. ५ केइ पाखंडी अडै आयनै रे, उण रा वचन सुणीनै सांम। उणरा वचन सूं कष्ट उणनै करै रे, आछी बात अमांम॥ धिन. ४. कहते हैं। २. कुल-भूषण। ५. निरुत्तर। ३. कुल-दीप। ६. श्रेष्ठ। १.संभवतः। भिक्खु-चरित : ढा. ३ २५१
SR No.006279
Book TitleBhikkhu Jash Rasayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJayacharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1994
Total Pages378
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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