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________________ ९ केइ तो प्रश्न पूछवा रे, केइक देखण काज रे। भ. ज.॥ केई कुगुरु ना भरमाविया रे लाल, उंधा बोलता नहीं आणै लाज रे। भ. ज. सुण.॥ १० उपसर्ग अनेक देता थकां रे, केइबोलता वचन विकराल रे। भ.ज.॥ केइ कहै- ए नन्हव अछे रे लाल, केइ कहै जमाली गोसाल रे॥भ.ज.सुण.॥ ११ पिण पूजजी क्रोध करै नहीं रे, सुध बतावै सूत्र न्याय रे। भ. ज.॥ वले व्रत-इव्रत मांड बतावतारेलाल, देवै भिन-भिन भेद दरसाय रे॥ भ. ज. सुण.॥ १२ केइ चतुर ते सुण-सुण चिंतवै रे, कूड़-कपट न दीसै यांमें कोय रे। भ.ज.।। यां तो साची वातां कहीसही रे लाल, घणा इचर्य होय रह्या जोय रे॥भ.ज.सुण॥ साचो धर्म भगवान रो रे लाल॥ १३ भगू भड़काया था बेटां भणी रे, सुध साधां मैं चूक बताय रे। भ. ज.॥ ज्यू लोकां नैं भड़काया भीखनजी थकीरेलाल, ओहीज मेलो न्याय रे।। भ.ज.साचो.॥ १४ वारंवार पूछी निरणो करी रे, कुगुरां नै दिया छटकाय रे। भ. ज.॥ साची सरधा आदरी रे लाल, कहै-धिन-धिन भीखू रिषरायरे॥ भ.ज. साचो.॥ १५ केइका लियो साधुपणो रे, केइ हुआ श्रावक-श्रावका साख्यात रे।भ.ज.॥ __केइ प्रतीतधार पका हुवा रे लाल, छोडी कुगुरां तणी पखपात रे॥ भ. ज. साचो.॥ १६ इम अनेक गांमां-नगरां मझे रे, चरचा कर-कर लिया समजाय रे। भ.ज.॥ जे हळुकर्मी था जीवड़ा रे लाल, ते कुगुरु छोडैनै आया ठाय रे। भ. ज. साचो.॥ १७ जे भारीकरमा जीवड़ा रे लाल, खोटा मत माहे 'रह्या खूत'रे। भ. ज.॥ कुमत-कुबधमाहि कळरह्यारेलाल,' ज्यूं माखी 'रही संघेण मैं सूत २ रे। भ. ज. साचो.॥ १८ रावण रूप किया था घणा रे, बहोरूपणी देवी बोलाय रे॥ भ. ज.॥ पिण लछमण रा बाण सूं रे लाल, रूप गया विललाय रे। भ.ज. साचो.॥ १९ ज्यूं सुध-साधां सूं भड़काया लोकां भणी रे, यांरी संगत म करजौ कोय रे। भ.ज.॥ पिण पूज सूत्र-न्याय ज्ञान-वाण सूरे लाल, भर्म भाग्यो घणां रो जोय रे। भ.ज. साचो.॥ २० चक्रवर्त चढै देस साधवा रे, आंण फेरे छ खंड में आय रे। भ.ज.॥ ज्यूं भीखनजी रिष विचस्या जठे रे लाल, अरिहंत आगन्या दीधी ओळखाय रे। भ.ज. साचो.|| २१ निरजुगता न्याय मेल्या घणां रे, सुध सूत्र जोय-जोय सार रे। भ. ज.॥ वले 'उतपातबुध सूं आछौ कियो रे लाल, आसरै ग्रंथ अड़तीस हजार रे॥ भ. ज. साचो.॥ १. बंधे हुए। ४. युक्ति सहित। २. फंस रहे। ५. औत्पतिकी बुद्धि ३. श्लेष्म में लिपटी हुई। ६. श्लोक संख्या। २५० भिक्खु जश रसायण
SR No.006279
Book TitleBhikkhu Jash Rasayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJayacharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1994
Total Pages378
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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