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३५ चात्रक मोर पपइया घन चित, गुरजी' ध्यान गगन्न। .
राग-विलासी राग आलापै, मुझ भीक्खू मैं मन्न॥ भीख. ३६ पतिवरता समरै जिम पिउ नै, गोप्यां रै मन कांन।
तंबोळी रा पान तणी पर, धरूं स्वाम नौ ध्यांन॥ भीक्खू. ३७ आसा-पूरण आप तणां गुण, कह्या कठा लग जाय।
सागर जल गागर किम मावै, किम आकाश मिणाय? भीखू. ३८ श्री वीर तणे पट स्वाम सुधर्मा, भीक्खू पट भारीमाल।
रायचंद ऋष तीजै पट, दाख्यौ आगूच दयाला भीक्खू. ३९ आप तणा गुण हूं किम विसरूं, आप तणौ आधार।
समरण आप तणौ नित्य समरूं, आप दयाल उदार॥ भीक्खू. ४० नांम आपरौ घट-भिंतर मुझ, जपूं आपरौ जाप।
तुझ नांमे दुख-दोहग दूरा, कटै पाप-संताप।। भीक्खू. ४१ मन वंछत मिलियै तुझ समरण, साध्या सेती सोय।
भजन तुम्हारौ भय-भव-भंजन, हरष अनोपम होय॥ भीक्खू. ४२ मंत्राक्षर जिम समरण मोटौ, परख्यौ म्है तन-मन्न।
इहभव परभव मैं हितकारी, भीक्खू तणो भजन्न॥ भीक्खू. ४३ नमो-नमो भीक्खू ऋष निरमळ, मोख तणा दातार।
समरण स्वाम तणो सुद्ध साध्यां, सिव-सुख पांमै सार॥ भीक्खू.. ४४ हूंस घणा दिन सूं मुझ हुंती, आज फळी मन आस। ___ 'भीक्खू-जश-रसायण' नामे, ग्रंथ रच्यो सुविलास॥ भीक्खू. ४५ विस्तार रच्यौ भीक्खू मुनिवर नौं, सुणीयौ तिण अनुसार।
भीक्खू दृष्टंत हेम लिखाया, देखी ते अधिकार॥ भीक्खू. ४६ वैणीरामजी हे म कृत वर, भीक्खू चिरत सुपेख।
इत्यादिक अवलोकी अधिकौ, ग्रंथ रच्यौ सुविसेख॥ भीक्खू. ४७ अधिकौ ओछौ जे कोई आयौ, विरुद्ध आयौ हुवै कोय।
सिद्ध अरिहंत देव री शाखे, मिच्छामि दुकडं मोय॥ भीक्खू. ४८ संवत् उगणीसे आठे, आसोज एकम सुदि सार।
शुक्रवार ए जोड़ रची, बीदासर सैहर मझार॥ भीक्खू. १. कुरजी - क्रोंच पक्षिणी।
२. श्रीकृष्ण
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' भिक्खु जश रसायण