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________________ २१ परम धरम भज भरम करम तज, शरम नरम उभ साज। शिव-पद अचरम आप आराधण, रूड़ो भीक्खू ऋषराज॥ भीक्खू. २२ वर-वायक पद-लायक वारू, नायक नाथ निहाल। बोधि-पमायक धरम-वधायक, दायक स्वाम दयाल॥ भीक्खू. २३ ज्ञान-गंभीरा सखर सधीरा, 'षट-पीहरा तज खार। हिवड़े स्वाम अमोलक हीरा, तोड़ जंझीरा तार॥ भीक्खू. २४ जप-तप नी तरवारे झटकौ, पाखंड खटकौ पेल। समय सुलटको गुण नौं गटकौ, मटकौ मन को मेला भीक्खू. २५ ऐसा भीक्खू आप ओजागर, अवतरीया इण आर। स्वाम जिसा चौथे आरे पिण, विरला संत विचार॥ भीक्खू. २६ जन्म किल्यांण कंटाळ्ये जांणो, सरीयारी चरम किल्यांण। द्रव्य-दिख्या-महोछव वगड़ी मैं, जोड़े ए त्रिहुं जाण॥ भीक्खू. २७ स्वाम भीक्खू हिवडै संभरीया, हिय तन मन हुलसाय। सूक्ष्म बुद्धि करी सुविचार्या, विमल कमल विकसाय॥ भीक्खू. २८ भाद्र सुकल तेरस दिन भीक्खू, परभव कियौ पयांण। तिथि चवदस धरती धूजी अति, न्याय जाणै बुद्धिवान॥ भीक्खू. २९ तीन प्रकारे धरती धूजै, ठाणांगरे तीजै ठाण। भेद जूजूआ श्री जिन भाख्या, समजै सखर सयांण॥ भीक्खू. ३० घर में वर्स पचीस आसरै, आठ भेख मैं तास। पछै संजम ले परभव पौहता, चमालीसमै वास॥ भीक्खू. ३१ सर्व आउ सत्तर वरस आसरै, साध्यौ भीक्खू स्वाम। जीव घणां समजायवा रे, कीधौ उत्तम काम।। भीक्खू. ३२ साध-साध्वी स्वाम छतां, आसरै एक सौ चार। बोधि-दिशव्रत दीधौ बहु नै, सखरी रीत सुसार॥ भीक्खू. ३३ अड़तीसहंस आसरै कीधी, युक्ति न्याय सं जोड। मुरधर मेवाड़ ढूंढार हाड़ोती, विचस्या सिरमणि मोड़।। भीखू. ३४ राम नाम ज्यूं रटै स्वाम नैं, मुझ मन अधिक निहोर। हंसा मानसरोवर . हरखै, चित जिम चंद चकोर।। भीक्खू. १. छह प्रकार के जीवों के रक्षक। ३. स्थानांग, स्था. ३, सूत्र ४६४, ४६५। २. श्रृंखला। भिक्खु जश रसायण : ढा. ६३ २११
SR No.006279
Book TitleBhikkhu Jash Rasayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJayacharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1994
Total Pages378
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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