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काटण रै काम। तुम्हारौ नाम।। . भीक्खू.
४९ तेसठमी ढाळे स्वामी समर्या, कर्म कर जोड़ी ऋष जीत' कहै नित्य, लेउं
. कलश १ मतिवंत संत महंत महामुनि, तंत
गुण सधन गाया परम पाया, हद तज जंत्र-मंत्र सुतंत्र लौकिक, भज सुख-सद्म पद्म सुकरण 'जय-जश' नमो
भीक्खू ऋष तणा। सुहाया हिय घणा।.. ए मंत्र मनोहरू। भीक्खू मुनिवरू।।
॥ इति भीक्खु जश रसायणे चतुर्थः खंडः॥...
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भिक्खु जश रसायण : ढा.६३
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