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दूहा
ऊजम
१ वरस तयाळी विचरीया, जाझौ कांयक जोय।
चारित्र पाळ्यौ चूंप सूं, हरष हीयै अति होय॥ २ इधिकौ बळ इन्द्रयां तणौ, निरमळ देह निरोग।
भीक्खू सूरत अति भली, अरु तीखौ उपयोग। ३ सखर चौमासा स्वाम ना, वारू अधिक विशाल।
सांभळजो भवियण सहू, चरम सहित . चौमाळ। ४ आठ चौमास आगै कीया, असल नहीं अणगार।
सतरा सूं साठा लगै, वरत्यौ . सुद्ध ववहार॥ ५ किहां किहां चौमासा कीया? जूजूआ नाम
सुजांण। संक्षेपे निरणय सहू, आखू
आण॥ ___ढाळ : ६३
(सीता आवै रे धर राग) १ सैहर कैलवै षट चौमासा, सतरे इकवीसे सोय। ___पचीसे अड़तीसे गुणपचासे, अठावने
अवलोय। भीखू भज ले रे धर भाव।। २ वारू एक चौमासौ 'वड़लू', वरस अठारे विचार।
राजनगर वीसे सुद्ध रीते, कीयौ घणौ उपकार॥ भीक्खू. ३ दोय चौमासा कीया दीपता, पवर कंटाळ्यै पिछांण।
चौवीसै अठवीसै चारू, जन्मभूमि निज जांण॥ भीख. ४ वगड़ी तीन चौमासा वारू, सतवीसै
सुविसेख। तीसै अरू छतीसै त्यां द्रव्य, दीख्या-महोच्छव देख॥ भीक्खू. ५ 'गढ रिणतभंवर क्लिा री तलेटी, नगर माधोपुर न्हाळ। __दोय चौमासा कीया दीपता, इगतीसे अड़ताळ॥ भीक्खू. ६ दोय चौमासा कीया दीपता, परगट सैहर पीपार।
चउतीसे पैंतालीसै वर्स, कीयौ घणौ उपगार॥ भीक्खू.
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१. रिणतभंवर गढ़ के किले के तलहटी में बसा हुआ माधोपुर नगर।
भिक्खु जश रसायण : ढा. ६३
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