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________________ ६ 'इग्यारस आहार त्याग दीयौ मुनि, अमल-पाणी उपरंतो'।. मुझ हिव आहार लेतौ मत जांणजो, कह्यौ वयण अमोलक तंतो॥ भीक्खू. ७ बारस रै दिन बेलौ कियौ पूज, तीन आहार तणा किया त्यागो। सखर संथारौ करण सूं स्वामी नों, वारू चढ़तौ वैरागो॥ भीक्खू. ८ सांमली हाट सूं ऊठ मुनीश्वर, चलीया-चलीया आयो। पकी हाट नै पका मुनीश्वर, सुणजो पको संथारौ सुहायो॥ भीक्खू. ९ सयण शिषां कीधौ सुखदाई, वारू पूज लियो विसरामो। इतले ऋष रायचंदजी आयनै, रूड़ा वचन वदै अभिरामो॥ भीक्खू. १० स्वामी किरपा कीजै दर्शण दीजियै, वदै ब्रह्मचारीजी विख्यातो। पूज साहमौ जोवै नेत्र खोलनै, हद मस्तक दीधौ हाथौ॥ भीक्खू. ११ पूज नै कहै-'प्राकम'हीणा पड़िया, ऋषराय तणी सुण वायो। भीक्खू पहिला तन तोल त्यारी था, सुण सीह ज्यूं उठ्या मुनिरायो।। भीखू. १२ भीक्खू कहै-बोलावो भारीमाल नै, वले खेतसीजी नै विचारो। याद करतां इ संत दोनूंइ, झट आय ऊभा है जिवारो।। भीक्खू. १३ णमोत्थुणं कीयौ अरिहंत सिद्धां नै, तीखै बच बोल्या तांमो। ____ बहु नरनारी सुणतां नै देखतां, संथारौ पचख्यौ भीक्खूस्वामो। भीक्खू. १४ शिष परम भगता कहै स्वाम नै, क्यूं न राख्यो अमल नों आगारो? __ पूज कहै आगार किसौ हिवै, किसी करणी काया नी सारो? भीक्खू. १५ भाद्रवा सुदि बारस भली, तिथि सोमवार सुविचारो। अणसण आदर्यो वैराग आणी नै, सुद्ध छेहलौ दुघड़ीयौ सारो।। भीक्खू. १६ घणा जन आवंता गुण गावंता, बोलता बेकर जोड़ो। धिन-धिन हो थे मोटा मुनिश्वर, कीधी वडा-वडेरा री होडो।। भीक्खू. १७ केइ सनमुख आया नै प्रणमैं पाया, विकसित होवै विलासं। खांत करीनै स्वामी नै खमावता, हिवड़े आंण हुलासं। भीखू. १८ धिन-धिन पूज रौ धीरापणौ, धिन-धिन पूज नौं ध्यानो। धिन-धिन स्वाम सूरा घणा सदरा', मन कीयो मेरू समानो।। भीक्खू. १९ आखी ए गुणसठमी ओपती, सुद्ध ढाळे स्वाम संथारो। भल 'जय-जश' कर स्वाम भीक्खू नौं, समरण महा सुखकारो॥ भीक्खू. १. एकादशी के दिन स्वामीजी ने अफीम २. बिछौना। और पानी के अतिरिक्त प्रत्याख्यान कर दिया। ३. शारीरिक शक्ति। 'दस्तों के कारण वे औषध रूप में अफीम ४. अमृत का। लिया करते थे। ५. अडिग भिक्खु जश रसायण : ढा. ५९ २०१
SR No.006279
Book TitleBhikkhu Jash Rasayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJayacharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1994
Total Pages378
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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