________________
चूकौ ।
८ ब्रह्मचारी कहै वांणो जी, सुध वच सुंदरू।
आप कौ जन्म रो किल्यांणो जी, हूं मोह किम करूं। ९ वले स्वाम सीख दै सारो जी, सहु संतां भणी। आराधजो आचारो जी, मत
अणी॥ १० इर्या भाषा उदारौ जी, अधिकी
एषणा। वस्त्रादि लैतां विचारो जी, 'परठत
पेखणा॥ ११ सखरी पांच सुमती जी, गुप्त गुणी धरो।
दया सत सील सुदती जी, ममता मत करो। १२ शिष शिषणी पर सोयो जी, उपगरण
ऊपरै। ___ मूर्छा म कीजौ कोयो जी, प्रमाद
परहरे॥ १३ पुद्गल ममत. प्रसेंगोजी , तन मन सूं तजी।
संजम सखर सुचंगो जी, भल भावै--- भजी। ....१४- आछी सीख अनूंपी जी, अति
अभिरामजी। अमृत रस नी कुंपी जी, दीधी
स्वामजी।। १५ आखी ढाळ उदारो जी, षट
'पंचासमी। 'जय-जश' करण श्रीकारो जी, स्वामी मति समी।।
१. परिष्ठापन करते समय सजगता रखना।
१९४
भिक्खु जश रसायण